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Pitru Paksha 2025 : पितृपक्ष में 100 साल बाद बन रहा है चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण का दुर्लभ खगोलीय संयोग, जानें इसका ज्योतिषीय महत्व?

पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत सात सितंबर से हो रही है। ज्योतिष और खगोलविदों के अनुसार लगभग 100 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष के दौरान चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)  और सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) दोनों एक पक्ष में पड़ेंगे। ग्रहण की यह घटना पितरों की शांति, तर्पण और कर्मकांड को बेहद खास बनाएगी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Pitru Paksha 2025 : पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत सात सितंबर से हो रही है। ज्योतिष और खगोलविदों के अनुसार लगभग 100 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष के दौरान चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)  और सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) दोनों एक पक्ष में पड़ेंगे। ग्रहण की यह घटना पितरों की शांति, तर्पण और कर्मकांड को बेहद खास बनाएगी। साढ़े तीन घंटे के चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) का सूतक नौ घंटे पहले लग जाएगा। जबकि सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) भारत में दृश्य नहीं होने से सूतक नहीं लगेगा।

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बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय (Prof. Vinay Pandey, former head of the Department of Astrology, BHU) ने बताया कि काशी के पंचांगों के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत सात सितंबर से हो रही है। प्रतिपदा का श्राद्ध आठ सितंबर को होगा। इस बार नवमी तिथि की हानि हो रही है। पंचमी और षष्ठी तिथि का श्राद्ध 12 सितंबर को होगा।

चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)   सात सितंबर को रात 9:57 बजे शुरू होगा और मोक्ष 1:27 बजे होगा। इसके नौ घंटे पूर्व सूतक काल की शुरुआत हो जाएगी। ग्रहण के दौरान श्राद्धकर्म वर्जित नहीं होते हैं, हालांकि चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)  के सूतक के पूर्व ही तर्पण और श्राद्ध के कार्य हो जाएंगे। वहीं, 21 सितंबर को पितृ विसर्जन (Pitru Visarjan) पर सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) पड़ रहा है।

सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) रात 11 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर को सुबह 3:24 बजे पर खत्म होगा। हालांकि इस सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। इसलिए इसका ज्योतिषीय महत्व है।

ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री (Astrologer Daivagya Krishna Shastri) ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में ग्रहण का लगना शुभ-अशुभ फल को और प्रभावशाली बनाता है। यह घटना पितरों की शांति और तर्पण कर्मकांड को विशेष महत्व देने वाली होगी।

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