PM Narendra Modi's visit to Jharkhand: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) झारखंड के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, जहां पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) के पैतृक गांव खूंटी जिले के उलिहातू गांव (Ulihaatu Village) पहुंचे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने किसान सम्मान निधि योजना (Kisan Samman Nidhi Yojana) की 15वीं किस्त जारी किया। इसके अलावा उन्होंने झारखंड के विकास के लिए कई परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण किया।
PM Narendra Modi’s visit to Jharkhand: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) झारखंड के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, जहां पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान भगवान बिरसा मुंडा (Lord Birsa Munda) के पैतृक गांव खूंटी जिले के उलिहातू गांव (Ulihaatu Village) पहुंचे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने किसान सम्मान निधि योजना (Kisan Samman Nidhi Yojana) की 15वीं किस्त जारी किया। इसके अलावा उन्होंने झारखंड के विकास के लिए कई परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण किया।
पीएम नरेंद्र मोदी खूंटी में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम (Tribal Pride Day Program) में शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने क्षेत्रीय उत्पादों वाले स्टॉल का अवलोकन किया। यहां पर उन्होंने आईईसी वैन (IEC WAN) को हरी झंडी दिखाई। पीएम मोदी ने 7200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। खूंटी कॉलेज के स्टेडियम में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मंच पर पीएम मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda), राज्यपाल राधाकृष्णन (Governor Radhakrishnan), सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) सहित कई नेता मौजूद रहे।
इस जनसभा में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने कहा कि धरती आबा की इस भूमि पर आज हमारे राज्य में आए देश के प्रधानमंत्री मोदी मंच पर उपस्थित हैं। झारखंड एक बहुत आदिवासी राज्य है। उन्हें आदिवासी होने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा पूरे देश के आदिवासियों के भगवान हैं। आदिवासी समाज सदियों से अपने हक-अधिकार की लड़ाई लड़ता रहता है। चाहे वह अंग्रेजों से हो या महाजनों से हो। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इतिहासकारों ने आज तक हम आदिवासियों को उचित अधिकार नहीं दिया।