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प्रशांत किशोर बोले- साबित करें कि NDA ने वोट खरीदकर चुनाव नहीं जीता तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा

Prashant Kishor first post-election Press Conference: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सूपड़ा साफ होने के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर मंगलवार को पहली बार मीडिया के सामने आए। इस दौरान प्रशांत किशोर ने पार्टी की करारी हार की पूरी जिम्मेदारी खुद ली। उन्होंने कहा कि अगर एनडीए साबित कर दें कि उन्होंने वोट खरीदकर नहीं जीता है, तो मैं बिना किसी शक-शुबहे के राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

By Abhimanyu 
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Prashant Kishor first post-election Press Conference: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सूपड़ा साफ होने के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर मंगलवार को पहली बार मीडिया के सामने आए। इस दौरान प्रशांत किशोर ने पार्टी की करारी हार की पूरी जिम्मेदारी खुद ली। उन्होंने कहा कि अगर एनडीए साबित कर दें कि उन्होंने वोट खरीदकर नहीं जीता है, तो मैं बिना किसी शक-शुबहे के राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

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पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने कहा कि हमने ईमानदार कोशिश की, लेकिन वो पूरी तरह असफल रही। इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन की तो बात ही छोड़िए, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं ला पाए। लेकिन बिहार की राजनीति को बदलने में हमारी कुछ भूमिका ज़रूर रही। उन्होंने कहा, “जिस पार्टी को सिर्फ़ 3.5% वोट मिले और फिर भी मीडिया में इतना ध्यान खींचे, उससे पता चलता है कि हमने कुछ सार्थक किया है। हम तीन साल पहले बिहार में व्यवस्था बदलने आए थे और हमने ईमानदार कोशिश की थी, लेकिन हमें कामयाबी नहीं मिली। हम सरकार तो नहीं बदल पाए, लेकिन हमने राजनीति को कुछ हद तक बदल दिया है। ज़रूर कुछ कमियाँ रही होंगी, जिनकी वजह से लोग हम पर भरोसा नहीं कर पाए। यह मेरी ज़िम्मेदारी है, और चुनाव नतीजों का सारा दोष मैं ही लेता हूं। हम सब सामूहिक रूप से हारे हैं।

जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने यह भी कहा, “हमारी कोशिशों में, हमारी सोच में, और जिस तरह से हमने ये समझाया कि जनता ने हमें नहीं चुना, उसमें ज़रूर कोई न कोई चूक रही होगी। अगर जनता ने हम पर विश्वास नहीं दिखाया, तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी मेरी है। मैं ये ज़िम्मेदारी 100% अपने ऊपर लेता हूँ कि मैं बिहार की जनता का विश्वास नहीं जीत पाया।” एनडीए पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “आजाद भारत में पहली बार – खासकर बिहार में – किसी सरकार ने लोगों पर 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया और इसीलिए एनडीए को इतना बड़ा बहुमत मिला। लोग कह रहे हैं कि मतदाताओं ने 10,000 रुपये के लिए अपना वोट बेच दिया। यह सच नहीं है; यहाँ के लोग अपना या अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेचेंगे। इस बहस का कोई अंत नहीं है।

प्रशांत किशोर ने कहा, “कुछ लोग चुनाव आयोग पर गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं – यह उनका मामला है। लेकिन हर विधानसभा सीट पर कम से कम 60,000-62,000 लोगों को 10,000 रुपये दिए गए और 2 लाख रुपये का ऋण देने का वादा किया गया। सरकारी अधिकारी ड्यूटी पर थे और लोगों को बता रहे थे कि अगर एनडीए सत्ता में लौटी तो उन्हें ऋण मिलेगा, और इसके लिए जीविका दीदियों को ड्यूटी पर लगाया गया था।”

प्रशांत किशोर ने चुनाव के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “लोग जेडी(यू) के 25 सीटें जीतने पर मेरे बयान पर खूब चर्चा कर रहे हैं – मैं अब भी उस पर कायम हूं। अगर नीतीश कुमार 1.5 करोड़ महिलाओं को दिए गए अपने वादे के अनुसार 2 लाख रुपये दे दें और साबित कर दें कि उन्होंने वोट खरीदकर नहीं जीता है, तो मैं बिना किसी शक-शुबहे के राजनीति से संन्यास ले लूँगा।”

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