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प्रेमानंद महाराज, बोले-भगवान का प्रेम सबके लिए समान और निष्पक्ष होता है, जीवन-मरण प्रारब्ध और आयु से जुड़ा है

संत प्रेमानंद महाराज जी (Saint Premananda Maharaj Ji) ने कहा कि कभी-कभी जीवन में हमें ऐसे अनुभव होते हैं जो हमें हिला कर रख देते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे किसी मकान का गिर जाना, छत का ढह जाना, सड़क पर हुई दुर्घटना या कोई बड़ी विपदा। इन घटनाओं में कई बार लोग असमय अपनी जान गंवा देते हैं और उसी पल वहीं मौजूद कोई दूसरा व्यक्ति चमत्कारिक रूप से बाल-बाल बच जाता है।

By संतोष सिंह 
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मथुरा। संत प्रेमानंद महाराज जी (Saint Premananda Maharaj Ji) ने कहा कि कभी-कभी जीवन में हमें ऐसे अनुभव होते हैं जो हमें हिला कर रख देते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे किसी मकान का गिर जाना, छत का ढह जाना, सड़क पर हुई दुर्घटना या कोई बड़ी विपदा। इन घटनाओं में कई बार लोग असमय अपनी जान गंवा देते हैं और उसी पल वहीं मौजूद कोई दूसरा व्यक्ति चमत्कारिक रूप से बाल-बाल बच जाता है। प्रेमानंद महाराज जी (Premananda Maharaj Ji) ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में मन अनगिनत सवालों से घिर जाता है, जैसे क्या यह केवल एक संयोग था? या फिर यह भगवान का कोई संकेत है? क्या यह सच में उनकी विशेष कृपा का परिणाम है?

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इन्हीं मुश्किल सवालों का उत्तर प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) ने एक भक्त को दिया। उनका कहना है कि जब भी ऐसा हो तो यह भगवान (God) की कृपा या संकेत नहीं, बल्कि हमारा भाग्य होता है।

भगवान का प्रेम पक्षपाती नहीं होता

प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj)  ने समझाया कि यदि हम यह मान लें कि किसी के बच जाने के पीछे केवल भगवान की विशेष कृपा है, तो इसका अर्थ यह भी होगा कि जो लोग हादसे में दबकर मर गए, उन पर भगवान की कृपा नहीं थी। ऐसा मानना भगवान के प्रेम को पक्षपाती ठहराना होगा। जबकि सच्चाई यह है कि भगवान का प्रेम सबके लिए समान और निष्पक्ष होता है। जीवन-मरण प्रारब्ध और आयु से जुड़ा है।

महाराज ने बताया कि जो व्यक्ति किसी बड़े हादसे से बच जाता है, वह अपने पूर्व जन्मों में किए गए कर्मों (प्रारब्ध) और शेष आयु के कारण बचता है। वहीं, जिनकी मृत्यु हो जाती है, इसका अर्थ यह है कि उनकी आयु पूरी हो चुकी थी। इसे कभी भी भगवान के अधिक या कम प्रेम से नहीं जोड़ना चाहिए।

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भगवान के नाम का जप है सबसे बड़ी ताकत

प्रेमानंद महाराज ने अंत में कहा कि हमें हादसों के पीछे कारण ढूंढने के बजाय भगवान का नाम जपने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि सच्चा सहारा और शक्ति केवल भगवान ही देता है, चाहे परिस्थिति जीवन की हो या मृत्यु की।

ज्यादा पूजा करने वालें लोगों को क्यों होते है इतने कष्ट

इसी कड़ी में ए​क भक्त ने उनसे पूछा की ज्यादा भक्ति करने वालों को इतने कष्ट क्यों मिलते है? तो प्रेमानंद जी ने समझाया कि हमारे पिछले जन्मों से जो पाप या गलत कर्म जुड़े हैं, उन्हें भगवान इस जन्म में धीरे-धीरे दूर करते हैं। उन्होंने इसे इस तरह समझाया कि जैसे कमरे में कूड़ा दिखाई नहीं देता, लेकिन जब आप झाड़ू लगाते हैं तो सारे कचरे सामने आ जाते हैं। इसी तरह, जब हम पूजा और भक्ति का मार्ग अपनाते हैं, तो पुराने कर्मों के असर से कुछ कठिनाइयां सामने आने लगती हैं।

भक्ति का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिए

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महाराज जी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान भयभीत नहीं होना चाहिए और भक्ति का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता की ओर चलने वाला हर कठिन अनुभव अंत में फलदायी होता है। जो व्यक्ति भगवान के रास्ते पर निरंतर चलता है, उसके लिए असली हानि नहीं हो सकती।

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