MNREGA Renamed: केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' करने जा रही है। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आपत्ति जताते हुए इस फिजूल खर्च वाला बताया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि नाम बदलने की प्रक्रिया में पैसा भी खर्च होता है, तो बेवजह ऐसा करने का क्या फायदा?"
MNREGA Renamed: केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने जा रही है। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आपत्ति जताते हुए इस फिजूल खर्च वाला बताया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि नाम बदलने की प्रक्रिया में पैसा भी खर्च होता है, तो बेवजह ऐसा करने का क्या फायदा?”
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसके पीछे क्या सोच है। सबसे पहले तो यह महात्मा गांधी का नाम है, और जब नाम बदला जाता है, तो सरकार के संसाधन फिर से इस पर खर्च होते हैं… यह एक बड़ी प्रक्रिया है जिसमें पैसा भी खर्च होता है, तो बेवजह ऐसा करने का क्या फायदा? मुझे समझ नहीं आ रहा।” कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने इस मुद्दे पर कहा, “मैंने प्रियंका गांधी को यह मुद्दा उठाते देखा कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। गुजरात में कई लोगों का नाम ‘बापू’ है। यह कदम गैर-ज़रूरी लगता है, फिर भी इसे लाया जा रहा है।”
बता दें कि मनरेगा (MNREGA) की शुरुआत मनमोहन सिंह की यूपीए (UPA) सरकार के दौरान हुई, यह अधिनियम 23 अगस्त 2005 को पारित हुआ और फरवरी 2006 में लागू किया गया था। मनरेगा (MNREGA) ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है। इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था। मनरेगा तहत 2022-23 तक, 15.4 करोड़ लोग सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। आर्थिक सिक्योरिटी देने और ग्रामीण संपत्ति बनाने के अलावा, MNREGA पर्यावरण की रक्षा करने, ग्रामीण महिलाओं को मजबूत बनाने, गांव-शहरी माइग्रेशन को कम करने और सामाजिक बराबरी को बढ़ावा देने समेत अन्य विकास कार्यों में मददगार रहा है।