कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार बीजेपी और नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे हैं। बेरोजगारी से लेकर कोरोना वायरस, लगभग हर मुद्दे पर वह सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं। रविवार को उन्होंने ट्विटर पर पूछा कि भारत सरकार का झूठ और खोखले नारों का सीक्रेट मंत्रालय कौन सा है?
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार बीजेपी और नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे हैं। बेरोजगारी से लेकर कोरोना वायरस, लगभग हर मुद्दे पर वह सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं। रविवार को उन्होंने ट्विटर पर पूछा कि भारत सरकार का झूठ और खोखले नारों का सीक्रेट मंत्रालय कौन सा है? बता दें कि इस ट्वीट में राहुल ने अपनी बातों में साफ-साफ ये नहीं बताया कि वह किस मंत्रालय की ओर इशारा कर रहे हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह स्वास्थ्य मंत्रालय का ज़िक्र कर रहे हैं।
– Which is GOI’s most efficient ministry?
– The secret Ministry for Lies & Empty slogans
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 13, 2021
बता दें पिछले कुछ दिनों से कोरोना से हो रही मौत की संख्या को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से लगातार अपडेट आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों ने हर रोज़ मौत की पूरी-पूरी सही संख्या की जानकारी नहीं दी थी, जबकि मौत की संख्या कुछ और थी। एक मैगजीन ने भी दावा किया है कि मौत की संख्या 5 से 7 गुना अधिक हो सकती है। ऐसे में राहुल का इशारा इन्हीं आकड़ों की ओर हो सकता है। राहुल ने ट्विटर पर लिखा कि भारत सरकार का कुशल मंत्रालय कौन सा है? फिर नीचे जवाब देते हुए उन्होंने लिखा- झूठ और खोखले नारों का सीक्रेट मंत्रालय।
राज्य अब अपडेट कर रहे हैं डेटा
बता दें कि कुछ राज्यों ने पिछले 30 दिनों के दौरान हर 5 में से एक मौत की जानकारी केंद्र सरकार को नहीं दी थी, लेकिन अब एक साथ इन आंकड़ों के हर रोज़ वास्तविक मौत की संख्या के साथ जोड़ा जा रहा है। इस दौरान कुल 20,741 मौत की संख्या को फिर से जोड़ा जा रहा है जो पहले दर्ज नहीं की गई थीं।
इस बीच पत्रिका में दावा किया है कि देश में कोरोना से होने वाली मौत का जो आंकड़ा पेश किया गया है, मौत की संख्या उससे 5 से 7 गुना अधिक है। हालांकि मोदी सरकार ने पत्रिका के दावों को खारिज कर दिया है। सरकार ने दि इकॉनमिस्ट में प्रकाशित लेख को बिना आधार वाला और भ्रामक बताया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पत्रिका के प्रकाशित विश्लेषण महामारी विज्ञान के सबूतों के बिना केवल आंकड़ों के आकलन पर आधारित है।