रिजर्व बैंक के एमपीसी बैठक के रिजल्ट आ गए है। इसकी जानकारी देते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस बार रेपों रेट को लेकर कोई भी बदलाव नही किया गया है। यानी ब्याज दरों को यथावत रखा गया है। बता दें कि पिछले तीन बैठक में केन्द्रीए बैंक ने रेपों घटाने को लेकर ऐलान किया था। और फिलहाल ये 5.50% पर आ चुका है जिससे ये सच है कि इससे आपके लोन की ईएमआई पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा और ये न तो कम होगी और न ही आपका बोझ बढ़ेगा।
रिजर्व बैंक के एमपीसी बैठक के रिजल्ट आ गए है। इसकी जानकारी देते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि इस बार रेपों रेट को लेकर कोई भी बदलाव नही किया गया है। यानी ब्याज दरों को यथावत रखा गया है। बता दें कि पिछले तीन बैठक में केन्द्रीए बैंक ने रेपों घटाने को लेकर ऐलान किया था। और फिलहाल ये 5.50% पर आ चुका है जिससे ये सच है कि इससे आपके लोन की ईएमआई पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा और ये न तो कम होगी और न ही आपका बोझ बढ़ेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल हैं- संजय मल्होत्रा
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘मध्यम अवधि में, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, जो अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठा रही
‘आगामी त्योहारी सीजन से उत्साहजनक नतीजे मिलने की उम्मीद’
आरबीआई के गवर्नर ने सबसे पहले कहा कि मानसून सीजन अच्छा रहा है। इसके बाद उन्होने आनेवाले फ़ेस्टिवल्स सीजन के बारे में भी चर्चा किया । उन्होने इस मुद्दे को लेकर बात करते हुए गवर्नर ने कहा कि इससे आर्थिक मार्चे पर उत्साहजनक नतीजे मिलने की आशा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच सरकार और आरबीआई की सकारात्मक और सहारा देने वाली नीतियां अर्थव्यस्था के लिए बेहतर साबित होंगी। आरबीआई गवर्नर ने भूराजनीतिक अनिश्चितता को भी रेखांकित किया। बदलते वैश्विक समीकरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था शानदार अवसरों और ठोस बुनियाद के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है।
क्या है आरबीआई की एमपीसी की संरचना और बैठक की अहमियत
बता दें कि बीते 4 अगस्त को शुरू हुई इस बैठक का मतलब था रेपो दरों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगामी महीनों में रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख को निर्धारित करना था। गौरतलब है कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति का नेतृत्व आरबीआई गवर्नर करते हैं। इसमें केंद्रीय बैंक के तीन अधिकारी और भारत सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी सदस्य शामिल होते हैं। एमपीसी प्रत्येक दो माह में बैठक कर प्रमुख ब्याज दरों पर निर्णय लेती है तथा देश की मौद्रिक नीति की दिशा निर्धारित करती है।