सनातन परंपरा में ऋषियों का बहुत महत्व है। क्योंकि उन्होंने गहन तपस्या से ज्ञान प्राप्त कर वेदों और धार्मिक ग्रंथों की रचना की, जिससे समाज को धर्म, सत्य और न्याय का मार्ग मिला ।
Rishi Panchami 2025 : सनातन परंपरा में ऋषियों का बहुत महत्व है। क्योंकि उन्होंने गहन तपस्या से ज्ञान प्राप्त कर वेदों और धार्मिक ग्रंथों की रचना की, जिससे समाज को धर्म, सत्य और न्याय का मार्ग मिला । भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत का आसमान में स्थित सात तारों से गहरा संबंध है। ऋषियों की पूजा अत्यंत ही शुभ और फलदायी मानी गई है। सप्तऋषि यानि गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि की विशेष पूजा की जाती है।
पंचांग के अनुसार आज ऋषि पंचमी की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त प्रात:काल 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस तरह महिलाओं को आज ऋषि पंचमी की पूजा के लिए तकरीबन ढाई घंटे का पर्याप्त समय मिलेगा।
ऋषि पंचमी के दिन देवी अरुंधती की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि यदि कोई बहन रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को किसी कारणवश राखी नहीं बांध पाई हो तो वह इस दिन अपने भाई को रक्षासूत्र बांधकर उसके सुख-सौभाग्य की कामना करती है।
ऋषि पंचमी के दिन अन्न और नमक दोनों का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन दही और समा का चावल का ही सेवन करती हैं। ऋषि पंचमी के दिन हल से जोते गये अनाज का सेवन भूल से भी नहीं करना चाहिए। व्रत के पूर्ण होने पर सप्तऋषियों को जो कुछ भी फल-मिष्ठान और धन अर्पित किया हो उसे मंदिर में किसी पुजारी को दान करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए।