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Russia-Ukraine War : यूक्रेन में फंसे छात्र सिर्फ पानी और बिस्कुट के सहारे हैं 36 घंटों से

Russia-Ukraine War : देश के अलग-अलग शहरों के हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। जिसको जहां जगह मिली है, वहीं छिपा हुआ है। इस बीच यूक्रेन में फंसी नोएडा की छात्रा बिश्वा ने बताया कि वह और उनके भारतीय दोस्त पिछले 36 घंटे से बस में हैं।

By संतोष सिंह 
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Russia-Ukraine War : देश के अलग-अलग शहरों के हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। जिसको जहां जगह मिली है, वहीं छिपा हुआ है। इस बीच यूक्रेन में फंसी नोएडा की छात्रा बिश्वा ने बताया कि वह और उनके भारतीय दोस्त पिछले 36 घंटे से बस में हैं।

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उनके पास खाने को सिर्फ बिस्किट और पानी है। उसने बताया कि कैश भी खत्म हो चुका है, एटीएम खाली हैं। इसके अलावा यूक्रेन में रह-रह कर हो रहे धमाकों से वे लोग दहशत में हैं। एमबीबीएस छात्रा बिश्वा ने बताया कि वह 24 फरवरी को कीव एयरपोर्ट से इंडिया के लिए फ्लाइट थी। बिश्वा यूक्रेन के CHERNIVTSI से एयरपोर्ट के लिए 23 फरवरी की रात निकली, लेकिन एयरपोर्ट से महज 17 किलोमीटर पहले बिश्वा की बस को रोक ली गई।

उसे बताया गया कि रूस ने हमला कर दिया है। इसके बाद से बिश्वा और उसके साथी भारतीय स्टूडेंट बस में ही छिपे हुए हैं। बिश्वा ने बताया कि उन लोगों ने 36 घंटे से कुछ नहीं खाया है। बिश्वा ने बताया कि सड़क पर हालात बहुत खराब हैं। यूक्रेन के लोकल लोग भी पलायन करने लगे हैं और सब डरे हुए हैं।

बिश्वा ने बताया कि भारतीय दूतावास में सही वक्त पर रिएक्ट नहीं किया है। हमें गोलमोल जवाब मिलते रहे है। अब कहा जा रहा है कि पोलैंड या रोमानिया के रास्ते हमें भेजा जाएगा। बिश्वा बताती हैं कि बस में कुछ लोगों की तबीयत भी खराब हुई थी। बिश्वा ने कहा कि करियर पर भी संकट दिख रहा है।

जालौन की दो छात्राएं और एक छात्र भी यूक्रेन में फंसा रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध में कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के जालौन की दो छात्राएं और एक छात्र भी यूक्रेन में गोलीबारी के बीच फंस गए हैं। छात्रों की सलामती के लिए उनके परिजन लगातार भगवान से दुआ कर रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार से बच्चों की सकुशल वापसी की गुहार भी लगाई है।

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जालौन जिले के शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की तीन बेटियां अंकुरीति, आकृति व संस्कृति हैं। शैलेंद्र ने बताया कि उन्होंने दूसरे नंबर की बेटी आकृति चित्रांश को मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन की राजधानी कीव में भेजा था। आकृति वहां के बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल कॉलेज में थर्ड ईयर की स्टूडेंट है। जब से रूस और यूक्रेन में तनातनी शुरू हुई तभी से शैलेंद्र व उनकी पत्नी पूनम श्रीवास्तव आकृति चित्रांश को लेकर परेशान है।

रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) के मध्य जारी जंग के बीच वहां के कई शहरों में भारतीय छात्र फंसे हैं। ये छात्र अपने परिवार वालों के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से वहां का दर्द बयां कर रहे हैं। इस वजह से उनके परिजन भी बेहद परेशान हैं।

देवरिया में रहने वाले तीन (MBBS) के छात्रों के परिवार ने भारत सरकार से बच्चों की घर वापसी की गुहार लगाई है। परिजनों ने बताया कि उन्हें मोदी जी से उम्मीद है कि वो हमारे बच्चों की सकुशल वापसी करवाएंगे। वहीं बच्चों की आस भी पीएम मोदी से है। कई छात्र वीडियो जारी की कह रहे हैं मोदी जी बचा लीजिए।

देवरिया जिले में रामपुर कारखाना कस्बे के प्रणवनाथ सिंह यादव (Pranavnath Singh Yadav)  साल 2018 में एमबीबीएस (MBBS)  की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे। फिलहाल वो अपनी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फंसे हुए हैं। वीडियो कॉल पर चाचा से बातचीत करते हुए प्रणव ने उन्हें बताया कि यहां आपातकाल जैसी स्थिति है। मॉल, एटीएम मशीनों, सब्जी मंडी में लोगों की लंबी लाइनें लगी हुई हैं। कुछ देर पहले ही उसने हॉस्टल से निकलकर राशन इकट्ठा किया है।

इधर, प्रणव के परिजनों ने मोदी सरकार से गुहार लगाई कि छात्रों को किसी भी तरह वापस बुलाया जाए। प्रणवनाथ सिंह यादव (Pranavnath Singh Yadav) के अलावा शक्तिरमन सिंह (Shaktiraman Singh) और सुनील मद्देशिया (Sunil Maddeshia) यूक्रेन के अलग-अलग मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं, जो यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इन सभी के परिवार ने सरकार से सुरक्षित भारत लाने की गुहार लगाई है।

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वीडियो कॉलिंग के जरिये प्रणव ने बताया कि वो सुबह उठे तो ते धमाके की आवाज सुनाई दी। जो डेढ़ सौ किलोमीटर पर हुई थी। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सटी के डीन ने छात्रों को बाहर निकलने से मना किया है। इसके साथ ही 15 दिन का जरूरत के समान खरीद कर रखने के लिए कहा है। वो भारत वापस आना चाह रहा है।

इसके अलावा प्रणवनाथ सिंह यादव (Pranavnath Singh Yadav) ने बताया कि कुछ छात्र एयरपोर्ट गए थे, लेकिन उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया गया। छात्रों को एयरपोर्ट में घुसने नहीं दिया प्रणव का एमबीबीएस (MBBS) का चौथा साल है। उसके पिता सुरेंद्र यादव बलिया जिले (Ballia District) के एक अस्पताल में चीफ फार्मासिस्ट (Chief Pharmacist) है। प्रणव की छोटी बहन आकांक्षा की शादी इसी दिसंबर महीने में हुई थी, जिस समय वो घर आया था और तीन फरवरी को वापस यूक्रेन लौट गया था।

 

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