राजस्थान में अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष जारी है। इस घमासान को देखते हुए राजस्थान में नेताओं की दिल्ली के लिए दौड़ जारी है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी इन दिनों राजधानी में डेरा जमाए हुए हैं।
नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष जारी है। इस घमासान को देखते हुए राजस्थान में नेताओं की दिल्ली के लिए दौड़ जारी है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी इन दिनों राजधानी में डेरा जमाए हुए हैं।
इन सबका मकसद हाईकमान के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की है। फिलहाल प्रियंका गांधी के शिमला जाने के कारण शनिवार को पायलट की उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। इसी बीच हाईकमान ने सुलह फार्मूले में पायलट को पार्टी महासचिव बनने का आफर दिया था, जिसे पायलट ने ठुकरा दिया है। बता दें कि गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत मिले हैं। ऐसे में अभी सीएम अशोक गहलोत के अलावा 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हैं। मालूम हो कि गहलोत कुल 30 मंत्री बना सकते हैं।
इस स्थिति में राजस्थान में अभी 9 मंत्रियों को और जगह मिल सकती है। इन्हीं 9 पदों के लिए गहलोत और पायलट खेमा आमने सामने हैं। गहलोत सरकार के सामने परेशानी ये है कि वह अपने खेमें के विधायकों को पद दे, जो काफी समय से नजर गड़ाए बैठे हैं। पायलट खेमें को खुश करने के लिए उनके विधायकों को मंत्री बनाए।
उधर पायलट ने भी साफ कर दिया है कि, जब तक उनके विधायकों और समर्थकों को सरकार का हिस्सा नहीं बनाया जाता वह कोई भी पद नहीं लेंगे। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि पायलट को पार्टी ने महासचिव पद का ऑफर किया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बता दें कि सचिन पायलट की पहली प्राथमिकता राजस्थान है। वे प्रदेश से बाहर नहीं जाना चाहते हैं।