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शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 1957 वोटों से हराया

नंदीग्राम सीट से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव हार गई है। उनको भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से हराया है। इस सीट पर कांटे का मुकाबला देखने को मिला है। मतगणना के दौरान ज्यादातर समय शुभेंदु आगे रहे, लेकिन एक वक्त ममता बनर्जी आगे निकल गई। यहां तक की ममता बनर्जी के 1200 वोटों से जीत की भी खबर आ गई है, लेकिन आखिर में जीत बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी को मिली है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

कोलकाता। नंदीग्राम सीट से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव हार गई है। उनको भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी ने 1957 वोटों से हराया है। इस सीट पर कांटे का मुकाबला देखने को मिला है। मतगणना के दौरान ज्यादातर समय शुभेंदु आगे रहे, लेकिन एक वक्त ममता बनर्जी आगे निकल गई। यहां तक की ममता बनर्जी के 1200 वोटों से जीत की भी खबर आ गई है, लेकिन आखिर में जीत बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी को मिली है।

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ममता बनर्जी नंदीग्राम के परिणाम पर कहा कि नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करो। नंदीग्राम के लोग जो भी जनादेश देंगे, मैं उसे स्वीकार करती हूं। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। हमने 221 से अधिक सीटें जीतीं और भाजपा चुनाव हार गई। बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी को छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन की थी। 2016 के चुनावों में शुभेंदु अधिकारी ने इस सीट पर लेफ्ट के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था।

बता दें कि नंदीग्राम सीट पश्चिम बंगाल की एक हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है। ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर में नंदीग्राम एक अहम पड़ाव है। नंदीग्राम आंदोलन के जरिए ही ममता को लेफ्ट के खिलाफ निर्णायक बढ़त मिली थी।

2007 में तात्कालीन लेफ्ट सरकार ने इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप को ‘स्पेशल इकनॉमिक जोन’ नीति के तहत नंदीग्राम में एक केमिकल हब बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन इस निर्णय का विरोध होने लगा। विपक्षी दलों- टीएमसी, जमात उलेमा-ए-हिंद और कांग्रेस के सहयोग से भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी (BUPC) का गठन किया गया और सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया। यह आंदोलन ममता बनर्जी और टीएमसी के राजनीतिक सफर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस आंदोलन के बाद हुए 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने एतिहासिक जीत दर्ज की और बंगाल की सत्ता पर दशकों से काबिज लेफ्ट फ्रंट को सत्ता से बाहर कर दिया।

यह सीट लंबे समय से लेफ्ट का गढ़ रही लेकिन 2007 में नंदीग्राम आंदोलन के बाद इस सीट का राजनीतिक हवा बदलने लगी। 2009 में के उपचुनाव में यहां से टीएमसी की फिरोजा बीबी ने जीत दर्ज की। फिरोजा बीबी के बेटे की 2007 नंदीग्राम हिंसा में मौत हो गई थी। इसके बाद 2011 के चुनाव में भी टीएमसी ने फिरोजा बीबी को टिकट दिया और इस बार भी उन्हें जीत मिली। 2016 में शुभेंदु अधिकारी ने बतौर टीएमसी उम्मीदवार यहां जीत दर्ज की थी।

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