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स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विभव कुमार को जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) के पीए बिभव कुमार (PA  Vibhav Kumar) को जमानत दे दी है। बिभव कुमार (Vibhav Kumar) को आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) के पीए बिभव कुमार (PA  Vibhav Kumar) को जमानत दे दी है। बिभव कुमार (Vibhav Kumar) को आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले के बाद राजनीतिक उबाल पैदा हो गया था, और सीएम केजरीवाल और आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए थे।

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बिभव कुमार (Vibhav Kumar)  को इस साल की शुरुआत में हिरासत में लिया गया था। स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने बिभव कुमार (Vibhav Kumar)  पर मारपीट के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने बिभव कुमार (Vibhav Kumar)  को सीएम ऑफिस से दूर रहने का आदेश दिया है। बिभव कुमार (Vibhav Kumar)   को आदेश दिया गया है कि जब तक महत्वपूर्ण और संवेदनशील गवाहों की गवाही पूरी नहीं हो जाती, वह मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश नहीं कर सकते। इनके अलावा, वह किसी भी सार्वजनिक मंच पर मामले के ट्रायल के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। बेंच ने यह स्पष्ट किया कि ये शर्तें सिर्फ इसलिये रखी गई हैं ताकि गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनकी गवाही बिना किसी दबाव के हो सके। ट्रायल कोर्ट की तरफ से इसकी कोशिश की जाएगी कि महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही तीन सप्ताह के भीतर पूरी हो सके।

सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी (Senior Advocate Abhishek Manu Singhvi) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई है। सिंघवी ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि बिभव कुमार (Vibhav Kumar)  मामले के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन उन पर मुख्यमंत्री कार्यालय से बाहर रहने की पाबंदी न लगाई जाए। वह वहां किसी पद पर नहीं रहेंगे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि इस पाबंदी पर समय-सीमा निर्धारित करें। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने जोर देकर कहा कि ये शर्तें गवाहों की सुरक्षा और निष्पक्ष ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी अभियुक्त को तब तक अपराधी नहीं माना जा सकता जब तक कि अदालत द्वारा दोषी साबित नहीं हो जाता।

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