लखनऊ। बच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते हैं, उसे ढालने का प्रमुख काम अभिभावक का है। उसके बाद स्कूल में गुरु उन्हें तराशते हैं। जब कोई यह कहता है कि हमारा बच्चा संस्कारवान नहीं है तो दरअसल यह उस अभिभावक की कमी है। वह खुद की बेइज्जती करता है।
लखनऊ। बच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते हैं, उसे ढालने का प्रमुख काम अभिभावक का है। उसके बाद स्कूल में गुरु उन्हें तराशते हैं। जब कोई यह कहता है कि हमारा बच्चा संस्कारवान नहीं है तो दरअसल यह उस अभिभावक की कमी है। वह खुद की बेइज्जती करता है।