दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ने लगा है। दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। अब सूत्रों से खबर मिल रही है कि, आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने के लिए अन्य पार्टियों से बातचीत करेगी।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ने लगा है। दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। अब सूत्रों से खबर मिल रही है कि, आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को बाहर करने के लिए अन्य पार्टियों से बातचीत करेगी। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि, कांग्रेस भाजपा के साथ मिलकर काम कर रही है। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग व कांग्रेस के नेताओं के बयानों को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में नाराजगी है।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह का कहना है कि, दिल्ली बीजेपी के साथ कांग्रेस मिली हुई है। कांग्रेस नेता अजय माकन बीजेपी द्वारा भेजी गई स्क्रिप्ट पढ़ते हैं और AAP नेताओं को Target करते हैं। अरविंद केजरीवाल जी ने दिल्लीवालों के लिए बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा का इंतजाम किया लेकिन कांग्रेस ने केजरीवाल जी को देशद्रोही कहा। कांग्रेस ने सारी हदें पार कर दी हैं। कांग्रेस आलाकमान 24 घंटे में अजय माकन पर एक्शन ले, वरना हम कांग्रेस को INDIA गठबंधन से अलग करने की मांग करेंगे।
दरअसल, बुधवार को अजय माकन बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खिलाफ श्वेत पत्र जारी कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि, उन्हें समर्थन देना सबसे बड़ी भूल थी। अजय माकन ने कहा कि हमारी पार्टी में विचार रखने की आजादी है। मेरा मानना है कि आज दिल्ली की दुर्दशा और कांग्रेस कमजोर इसलिए हुई है क्योंकि हमने 2014 में आप की सरकार का 40 दिनों के लिए समर्थन किया था। सबसे बड़ा कारण यह है और हम लोगों ने दिल्ली के अंदर लोकसभा चुनाव में गठबंधन करके दोबारा भूल की है।
उन्होंने आगे कहा, मैं कभी भी इस बात का पक्षधर नहीं रहा हूं कि केजरीवाल जैसे व्यक्ति पर भरोसा किया जा सके। केजरीवाल हिंदुस्तान की राजनीति में अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनकी कोई विचारधारा नहीं है। जो पार्टी जरूरत पड़ने पर 370 के मामले में बीजेपी के साथ खड़ी हुई, यूनिफॉर्म सिविल कोड पर, सीएए के मामले में वो बीजेपी के साथ खड़ी हुई, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।