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पतंजलि पर भड़के मीलॉर्ड, बोले- केस वापस लीजिए वरना भारी जुर्माना भरने को हो जाइए तैयार

पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है। डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash)  के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन पर रोक लगाने वाले आदेश को चुनौती दी है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है। डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash)  के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन पर रोक लगाने वाले आदेश को चुनौती दी है। इस पर जस्टिस सी. हरिशंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि यह सामान्य अपमान का मामला है। पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) द्वारा दिए गए बयान स्पष्ट रूप से प्रतिवादी डाबर का संदर्भ देते हैं। अदालत ने पतंजलि (Patanjali) को चेतावनी दी कि अगर उसे यह एक लग्जरी केस और एक बेकार अपील लगती है, तो वह उस पर जुर्माना लगाएगी।

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हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि आपने कहा है कि 40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से ही क्यों संतुष्ट हों? इसलिए जब आपने 40 जड़ी-बूटियां शब्द का इस्तेमाल किया है, तो यह स्पष्ट रूप से प्रतिवादी (Dabur) की ओर इशारा करता है। पीठ ने पतंजलि के वकील से कहा जैसे ही आप 40 जड़ी-बूटियों वाला साधारण च्यवनप्राश’ कहते हैं। आप जनता के सामने यह तर्क दे रहे हैं कि प्रतिवादी (Dabur) का च्यवनप्राश साधारण है और मेरा (Patanjali) बेहतर है, तो फिर उसके च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों?

हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि सिंगल बेंच के जस्टिस ने विज्ञापन को अपमानजनक माना है। यह एक अंतरिम आदेश है और कोई कारण नहीं है कि खंडपीठ इस संबंध में विवेकाधीन आदेश पर विचार करे। कोर्ट ने कहा कि ये स्पष्ट रूप से अपमानजनक सामग्री है। बेंच ने आगे कहा कि जिनको आयुर्वेद या वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा के अनुरूप, असली च्यवनप्राश (Chyawanprash) कैसे बना पाएंगे। कोर्ट ने कहा कि तो आपने च्यवनप्राश (Chyawanprash) बनाने वाले बाकी सभी लोगों को यह कहकर बदनाम कर दिया है कि उन्हें नहीं पता कि च्यवनप्राश (Chyawanprash) क्या है और कैसे बनता है? वे च्यवनप्राश (Chyawanprash) कैसे बनाएंगे? यह एक सामान्य अपमान का मामला है। अंतरिम आदेश पूरी तरह से विवेकाधीन है। हमें इस अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? हमें बताएं।

बेंच ने कहा कि अगर अब हमें लगता है कि यह एक बेकार अपील है, तो हम जुर्माना लगाएंगे

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बेंच ने आगे कहा कि अगर अब हमें लगता है कि यह एक बेकार अपील है, तो हम जुर्माना लगाएंगे। अगर हमें लगता है कि यह एक लग्जरी केस है, तो हम जुर्माना लगाएंगे। हमने आपको अपना मन स्पष्ट कर दिया है। आपका अपूरणीय नुकसान कहां है? हम हर चीज के लिए ‘आलतू फालतू’ की अपील की अनुमति नहीं देंगे। ऐसा नहीं है कि यह आदेश आपको नुकसान पहुंचाएगा। आपके पास बहुत पैसा है इसलिए आप हर मामले में अपील दायर कर सकते हैं।

पतंजलि के वकील ने कोर्ट से मांगा समय

पतंजलि के वकील ने अदालत से अपने मुवक्किलों के साथ बैठकर मामले पर चर्चा करने के लिए कुछ समय देने का आग्रह किया, जिसके बाद अदालत ने अपील की अगली सुनवाई 23 सितंबर के लिए निर्धारित कर दी। 3 जुलाई को सिंगल बेंच ने पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash)  के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोक दिया था और कहा था कि टीवी और प्रिंट विज्ञापनों में पहली नजर में अपमानजनक टिप्पणी का एक मजबूत मामला सामने आया है।

जानें क्या था विज्ञापन में?

न्यायाधीश ने डाबर की याचिका पर अंतरिम रोक लगा दी थी और पतंजलि को प्रिंट विज्ञापनों से 40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से ही क्यों संतुष्ट हों? इसको हटाने और उसे हिंदी में संशोधित करने का निर्देश दिया था। न्यायाधीश ने कहा था कि टीवी विज्ञापन का वर्णन रामदेव (Ramdev) ने किया था, जो एक जाने-माने योग और वैदिक विशेषज्ञ हैं और विज्ञापन में स्वयं दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञापन का कथानक इस क्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में जाने जाने वाले व्यक्ति के मुख से निकलने के कारण अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

डाबर ने लगाया था क्या आरोप?

डाबर (Dabur) के तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश’ (Patanjali Special Chyawanprash) ‘विशेष रूप से डाबर च्यवनप्राश’ (Dabur Chyawanprash)  और सामान्य रूप से च्यवनप्राश का अपमान कर रहा है। यह दावा करके कि किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश बनाने का ज्ञान नहीं है, जो सामान्य अपमान है। याचिका में दावा किया गया है कि इसके अलावा, विज्ञापनों में (एक आयुर्वेदिक दवा/औषधि के संबंध में) झूठे और भ्रामक बयान दिए गए हैं, जो डाबर च्यवनप्राश (Dabur Chyawanprash) की तुलना में अपमानजनक है। याचिका में आगे दावा किया गया है कि विज्ञापन में अन्य सभी च्यवनप्राश के संबंध में ‘साधारण’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है, जो दर्शाता है कि वे ‘निम्न’ हैं। विज्ञापन में यह भी ‘गलत’ दावा किया गया है कि अन्य सभी निर्माताओं को आयुर्वेदिक ग्रंथों और च्यवनप्राश तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फ़ार्मूलों का कोई ज्ञान नहीं है।

 

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