इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Mosque) स्थित स्थान को कृष्ण जन्मभूमि (Krishna's Birthplace) की मान्यता देने की मांग की गई थी। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर (Chief Justice Pritinkar Diwakar) और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव (Justice Ashutosh Srivastava) की खंडपीठ ने महक महेश्वरी की याचिका पर दिया है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Mosque) स्थित स्थान को कृष्ण जन्मभूमि (Krishna’s Birthplace) की मान्यता देने की मांग की गई थी। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर (Chief Justice Pritinkar Diwakar) और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव (Justice Ashutosh Srivastava) की खंडपीठ ने महक महेश्वरी की याचिका पर दिया है।
सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। ये जनहित याचिका साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील महक महेश्वरी ने दाखिल की थी। अदालत में मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की भी मांग की गई थी।
हिन्दू पक्ष ने किया है ये दावा
हिन्दू पक्ष (Hindu Side) की ओर से दाखिल की गई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि विवादित परिसर में पहले वहां पर मंदिर हुआ करता था, जिसे तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Mosque) का निर्माण कराया गया था।याचिका में दावा किया गया है कि जिस जगह पर अभी मस्जिद है वहां द्वापर युग में कंस की जेल होती थी, जहां कंस ने भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) के माता पिता को कैद कर रखा हुआ था और इसी जेल में भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) का जन्म हुआ था। इसलिए भगवान का असली जन्मस्थान वही है।
एक बार खारिज हो चुकी है याचिका
बता दें कि सुनवाई के दौरान वकील के मौजूद न होने की वजह से एक बार ये याचिका खारिज भी की जा चुकी है। ये जनहित याचिका 19 जनवरी 2021 को खारिज हो गई थी। हाई कोर्ट ने मार्च 2022 में इस जनहित याचिका को री स्टोर कर लिया था। हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए दोबारा पेश किए जाने के निर्देश दिए थे।