अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि, प्री-बजट का दिखावा भी एक छलावा है। जहां मनमानी होती है वहां सलाह-मशवरे का नाटक करना जनता को ठगना है। सरकार में अधिकतर मंत्रालय ‘मन-त्रालय’ बनकर रह गये हैं। जब मंत्री ही नहीं बदले हैं तो बजट में बदलाव कैसे आएगा। आर्थिक बदहाली का ये दौर यूं ही जनता को परेशानी और महंगाई के दलदल में धकेलता रहेगा।
नई दिल्ली। सपा अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, ऐसे हालातों में जब 10 दिन बाद बजट पेश होना है, सरकार क्या किसी का सुझाव लेगी और क्या पहले से तैयार बजट में कोई बदलाव करेगी। कोविड जैसी त्रासदी के बाद जो आर्थिक हालात पैदा हुए हैं, उनमें भी सुधार न होना भाजपा सरकार की आर्थिक बदइंतज़ामी की ही नाकामी है।
अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि, प्री-बजट का दिखावा भी एक छलावा है। जहां मनमानी होती है वहां सलाह-मशवरे का नाटक करना जनता को ठगना है। सरकार में अधिकतर मंत्रालय ‘मन-त्रालय’ बनकर रह गये हैं। जब मंत्री ही नहीं बदले हैं तो बजट में बदलाव कैसे आएगा। आर्थिक बदहाली का ये दौर यूं ही जनता को परेशानी और महंगाई के दलदल में धकेलता रहेगा।
उन्होंने आगे लिखा कि, भाजपा सरकार की नोटबंदी, जीएसटी, आम जनता पर ज़्यादा टैक्स और अमीर कंपनियों पर कम टैक्स की घातक आर्थिक नीतियों की वजह से देश में असंगठित-अनौपचारिक काम-धंधों की 63 लाख इकाइयां बंद हो गयी हैं। इससे बेरोज़गारी भी रिकार्ड स्तर पर पहुंच गयी है। ऐसे हालातों में जब 10 दिन बाद बजट पेश होना है, सरकार क्या तो किसी का सुझाव लेगी और क्या पहले से तैयार बजट में कोई बदलाव करेगी। कोविड जैसी त्रासदी के बाद जो आर्थिक हालात पैदा हुए हैं, उनमें भी सुधार न होना भाजपा सरकार की आर्थिक बदइंतज़ामी की ही नाकामी है।
साथ ही लिखा कि, भाजपा सरकार का बजट सुझाव पर नहीं कुछ लोगों के निर्देश पर बनता है। आर्थिक नीतियों के मामले में भाजपा सरकार की भूमिका टाइपिस्ट से अधिक नहीं रही है। सरकार का बस स्टेनो बनकर रह जाना अच्छा नहीं। जनता को राहत देते हुए देश का विकास ही बजट का उद्देश्य होना चाहिए।