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भारत का वो मंदिर जहां देवताओं पर चलता है मुकदमा; मन्नत पूरी न करने पर दी जाती है सजा

Bhangaram Devi Mandir, Unique Temple of Bastar: भारत एक ऐसा देश है, जो विभिन्नताओं से सम्पन्न है। यहां पर भौगोलिक स्थिति, खान-पान, रहन-सहन और परंपराओं समेत अन्य चीजों में विभिन्नता देखने को मिलती है। देश में कई भी चीजें देखने को मिलेंगी, जिसके बारे में आपने कभी सुना भी न हो। एक ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर जिले में देखने को मिलता है। जहां पर एक अनोखे मंदिर में देवताओं के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें सजा भी सुनायी जाती है। 

By Abhimanyu 
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Bhangaram Devi Mandir, Unique Temple of Bastar: भारत एक ऐसा देश है, जो विभिन्नताओं से सम्पन्न है। यहां पर भौगोलिक स्थिति, खान-पान, रहन-सहन और परंपराओं समेत अन्य चीजों में विभिन्नता देखने को मिलती है। देश में कई भी चीजें देखने को मिलेंगी, जिसके बारे में आपने कभी सुना भी न हो। एक ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर जिले में देखने को मिलता है। जहां पर एक अनोखे मंदिर में देवताओं के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें सजा भी सुनायी जाती है।

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दरअसल, बस्तर में करीब 70 प्रतिशत के आदिवासियों की आबादी है, जहां गोंड, मारिया, भतरा, हल्बा और धुरवा जैसी जनजातियां कई लोककथाओं और परंपराओं की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। जिनमें भंगाराम देवी मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि तीन दिवसीय भादो यात्रा उत्सव के दौरान, मंदिर की देवता भंगाराम देवी उन मुकदमों की अध्यक्षता करती हैं जिनमें देवताओं पर आरोप लगाया जाता है। इस जन अदालत में जानवर और पक्षी अक्सर मुर्गियों के गवाह होते हैं।

भंगाराम देवी मंदिर में लगने वाली जन अदालत में शिकायतकर्ता ग्रामीण होते हैं। जिनकी शिकायतों में खराब फसल से लेकर लंबी बीमारी तक कई मुद्दे शामिल होते हैं, जिनको लेकर लोगों की मन्नतें पूरी नहीं हुई। दोषी पाए गए देवताओं को निर्वासन की सजा दी जाती है, उनकी मूर्तियां, ज्यादातर लकड़ी के कुलदेवता, मंदिर में अपना स्थान खो देती हैं और वह मंदिर के पीछे में निर्वासित कर दिए जाते हैं।

अदालत कभी-कभी तो देवताओं को जीवन भर के लिए सजा जीवन भर के लिए निर्वासित कर देती है या जब तक वे अपना रास्ता नहीं सुधार लेते और मंदिर में अपनी जगह वापस नहीं ले पाते हैं। अदालत में ट्रायल पर देवताओं को देखने के लिए लगभग 240 गांवों के लोग इकट्ठा होते हैं। उनके लिए भोज का आयोजन किया जाता है।

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