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सच तो ये है कि महाकुंभ का कचरा निस्तारित नहीं केवल विस्थापित हुआ, जांच हो सफ़ाई का बजट किसने साफ़ कर दिया: अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने बीबीसी की रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। साथ ही लिखा कि, जाँच हो कि महाकुंभ मेले 2025 में सफ़ाई का बजट किसने साफ़ कर दिया। सच तो ये है कि महाकुंभ का कचरा निस्तारित नहीं केवल विस्थापित हुआ है। दो इंजन कहें ‘मेला ख़त्म, पैसा हजम’...आधा पैसा तुम खाओ और आधा हम...

By शिव मौर्या 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कचरा निस्तारण के नाम पर बड़ा खेल जारी है। कचरा निस्तारण का काम करने वाली कंपनियां अधिकारियों की मदद से करोड़ों रुपये काम रही हैं। प्रयागराज महाकुंभ में 30 हज़ार मीट्रिक टन कचरा कहां गया किसी के पास इसका जवाब नहीं है। अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि, कचरा निस्तारित नहीं केवल विस्थापित हुआ है।

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अखिलेश यादव ने बीबीसी की रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। साथ ही लिखा कि, जाँच हो कि महाकुंभ मेले 2025 में सफ़ाई का बजट किसने साफ़ कर दिया। सच तो ये है कि महाकुंभ का कचरा निस्तारित नहीं केवल विस्थापित हुआ है। दो इंजन कहें ‘मेला ख़त्म, पैसा हजम’…आधा पैसा तुम खाओ और आधा हम…

बता दें कि, उत्तर प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के नाम पर बड़ा खेल किया जा रहा है। प्रयागराज में लगे महाकुंभ के दौरान भी कंपनियों ने कूड़ा निस्तारण के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया। पर्दाफाश न्यूज महाकुंभ में हुए इस भ्रष्टाचार को पहले भी उजागर किया था। अब अखिलेश यादव ने बीबीसी की एक रिपोर्ट को शेयर कर सरकार पर निशाना साधा है। इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीके से कूड़ा निस्तारण के नाम पर हुए खेल को उजागर किया गया है।

दरअसल, जीपीएस ट्रैकर के जरिए इस खेल को उजागर किया गया है, जिससे साफ है कि, महाकुंभ के दौरान कूड़ा निस्तारण के नाम पर सिर्फ सरकारी धन को अधिकारियों की मेहरबानी से कंपनियों ने लूटा है। इस रिपोर्ट में बताया कि, सरकार के मुताबिक, प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 45 दिनों में 66 करोड़ से ज़्यादा लोग शामिल हुए। इस दौरान लगभग 30 हज़ार मीट्रिक टन कचरा हुआ। इस कचरे का निस्तारण ​कैसे किया जाता है इसको पता लगाने के लिए उनकी टीम ने जीपीएस ट्रैकर का सहारा लिया और जीपीएस ट्रैकर को अलग प्रकार के कचरे में रखा और कुंभ मेला क्षेत्र में छोड़ द‍िया।

पहले जीपीएस ट्रैकर को इन्होंने डायपर और दूसरे को चिप्स के पैकेट में रखा था। इसके बाद जीपीएस ट्रैकर कूड़े के साथ प्रयागराज के बसवार गांव स्थित वेस्ट डिस्पोजल प्लांट तक पहुंचे। वहीं, सरकार का दावा है कि, कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से किया गया लेकिन बीबीसी टीम का दावा है कि, अगर कचरे का निस्तारण हुआ होता तो जीपीएस ट्रैकर नष्ट हो जाते लेकिन आज भी जीपीएस ट्रैकर वहीं पर मौजूद हैं।

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