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UP News : यूपी में बिजली को लेकर मचा हाहाकार, पावर कॉरपोरेशन की चूक से अगस्त में और खराब हो सकते हैं हालात

यूपी (UP) में बिजली खपत और संसाधनों का आंकलन करने में पावर कॉरपोरेशन ( Power Corporation) चूक गया है। उपभोक्ता और भार बढ़ाते गए, लेकिन संसाधनों का विकास नहीं किया गया, जिसका नतीजा रहा कि बिजली को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। अगस्त माह के लिए अभी से तैयारी नहीं की गई तो हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी (UP) में बिजली खपत और संसाधनों का आंकलन करने में पावर कॉरपोरेशन ( Power Corporation) चूक गया है। उपभोक्ता और भार बढ़ाते गए, लेकिन संसाधनों का विकास नहीं किया गया, जिसका नतीजा रहा कि बिजली को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। अगस्त माह के लिए अभी से तैयारी नहीं की गई तो हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं।

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यूपी पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन (UP Power Transmission Corporation) ने नियामक आयोग को दी गई रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2023-24 में अधिकतम खपत 27531 मेगावाट तक हो सकती है। इसी आधार पर सभी तैयारी भी की गई, जबकि इस वर्ष 13 जून को ही खपत का आंकड़ा बढ़कर 27611 मेगावाट पहुंच गया है। यह स्थिति तब है, जब ग्रामीण इलाके में ब्रेक डाउन के तहत ट्रांसफर फुंकने, केबिल जलने, तार टूटने, जंफर उड़ने, फ्यूज उड़ने जैसी घटनाएं लगातार हो रहीं हैं। इसकी वजह से कई इलाके में घंटों सप्लाई बाधित रहती है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि निर्धारित शिड्यूल के तहत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए तो खपत 29 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। यही हाल संसाधनों के विकास का भी रहा है। मौजूदा संसाधन 5.50 करोड़ किलोवाट का भार उठाने योग्य है। उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 3.52 करोड़ हो गई है, जिससे भार बढ़कर 7.47 करोड़ किलोवाट हो गया है।

निगमों की ओर से उपकेंद्रों के उच्चीकरण पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अब रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत अब 35384 करोड़ रुपये से एबी केबल डालने सहित अन्य कार्य शुरू कराए गए हैं, लेकिन यह कार्य लंबे समय तक चलने वाला है। कुछ कार्यों के लिए अभी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इसे दिसंबर तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है, जो संभव नहीं दिख रहा है।

बारिश में बढ़ेगी मुसीबत
प्रदेश में बिजली को लेकर जून माह में फजीहत हो रही है। अभी बारिश के मौसम में यह समस्या और बढ़ सकती है। बारिश के मौसम में खपत का आंकड़ा भी बढ़ता है। क्योंकि वर्ष 2021-22 में 28 जुलाई को अधिकतम खपत 24798 पहुंची थी। वर्ष 2022-23 में नौ सितंबर को अधिकतम खपत 26589 मेगावाट पहुंची थी। ऐसे में जुलाई से सितंबर माह खपत के लिहाज से अहम होता है। बारिश के दिनों में स्थानीय उत्पादन भी गिरता है।

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सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता शैलेंद्र दुबे (Retired Chief Engineer Shailendra Dubey) का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन (Power Corporation)  की हर स्तर पर रणनीति फेल रही। करीब 32 हजार उपकेंद्रों की क्षमता नहीं बढ़ाई गई। सिर्फ कनेक्शन और भार बढ़ाए गए। 37 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मी कार्यरत हैं। इनको नियमित करने की दिशा में भी कोई कार्य नहीं किया गया। जब खपत 28 हजार के आसपास पहुंच सकती है तो उसी हिसाब से संसाधनों का भी विकास किया जाना चाहिए था।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Consumer Council President Awadhesh Kumar Verma) का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन के अफसरों को बता दिया गया था कि इस वर्ष 28 हजार मेगावाट से अधिक खपत होगी, लेकिन वे 27611 मेगावाट तक सीमित रहे। पांच साल पहले एरियर बंच कंडक्टर (ABC) सिंगल फेस के लगाए गए हैं। तब से हर गली में उपभोक्ता बढ़े हैं। अब डबल फेस एबीसी (ABC)  की जरूरत है। पावर कॉरपोरेशन (Power Corporation) खपत के मुताबिक बिजली उपलब्धता का दावा करता है, लेकिन अहम सवाल यह है कि उपभोक्ता को कितने घंटे बिजली मिल रही है।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज (Uttar Pradesh Power Corporation Chairman M Devaraj) का कहना है कि कॉरपोरेशन लगातार अपने सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है। खुले तारों के स्थान पर एबी केबल लगाई जा रही हैं। आर्मर्ड सर्विस केबल लग रही हैं। बिजली व्यवस्था सुधारने के कई काम चल रहे हैं। ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं। इन सभी कार्यों में वक्त लगता है।

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