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Vrindavan Holi 2023: विधवा माताओं के जीवन में बिखरे खुशी के रंग, रुढ़िवादी परम्पराओं को दरकिनार कर खेली होली

धर्म नगरी वृंदावन के आश्रय सदन एवं अन्य स्थानों पर रह रही विधवा माताओं के जीवन में खुशी के रंग घोलने के उद्देश्य से सुलभ होप फाउंडेशन के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा शुरू की गई मुहिम के तहत सोमवार को प्राचीन राधा गोपीनाथ मंदिर में विधवा माताओं ने भगवान के संग रंग गुलाल और फूलों की होली खेली इस दौरान देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्त भी वृद्ध विधवा माताओं के साथ होली के रंग में सराबोर हो रहे थे।

By शिव मौर्या 
Updated Date

Vrindavan Holi 2023: सदियों पुरानी रुढ़िवादी परंपरा को दरकिनार करते हुए सैकड़ों विधवा माताओं ने सोमवार को प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में सुलभ होप फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होली महोत्सव में एक बार फिर रंगों का त्योहार होली मनाया। माताओं ने होली गीतों के मध्य नृत्य करते हुए अपने आराध्य भगवान श्रीराधाकृष्ण के साथ जमकर होली खेली। होली के रंग में सराबोर हो माताओं के चेहरे पर खुशी के भाव साफ छलक रहे थे।

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धर्म नगरी वृंदावन के आश्रय सदन एवं अन्य स्थानों पर रह रही विधवा माताओं के जीवन में खुशी के रंग घोलने के उद्देश्य से सुलभ होप फाउंडेशन के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा शुरू की गई मुहिम के तहत सोमवार को प्राचीन राधा गोपीनाथ मंदिर में विधवा माताओं ने भगवान के संग रंग गुलाल और फूलों की होली खेली इस दौरान देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्त भी वृद्ध विधवा माताओं के साथ होली के रंग में सराबोर हो रहे थे।

आपको बता दें कि अपने वैधव्य जीवन में खुशी के रंग घोलने के लिए सुलभ इंटरनेशल के संस्थापक डा. बिंदेश्वर पाठक ने 2013 से वृंदावन की विधवाओं को होली मनाने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद दीपावली, रक्षाबंधन जैसे त्यौहार भी मनाए गए। तभी लगातार माताओं के जीवन में खुशी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सोमवार सुबह से ही नगर के विभिन्न आश्रय सदनों में निवासरत सैकड़ों विधवा माताएं प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में एकत्रित होने लगी और होली के लिए विभिन्न फूलों की पंखुड़ियां तैयार कीं। होली के रसिया एवं भजनों की धुन के मध्य नृत्य करते हुए माताओं ने भगवान श्रीराधाकृष्ण के साथ होली का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया। जो विधवाएं केवल सफेद साड़ी पहनती हैं, वे त्यौहार मनाने के लिए एक-दूसरे पर रंग-गुलाल बिखेरती नज़र आईं।

सुलभ मूवमेंट के मेंटर बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि होली में विधवाओं कि भागीदारी रुढ़िवादी परंपरा पर एक विराम का प्रतीक है, जो एक विधवा को रंगीन साड़ी पहनने से भी मना कर रही थीं। यह विशेष उत्सव ब्रज में होली के उत्सव में एक नया रंग जोड़ रहा है। जो भारतीय और विदेशी दोनों पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।

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