रिलायंस इंडस्ट्रीज के एनुवल मीटिंग में इस सबसे बार बड़ा एलान किया गया है।कंपनी ने नई इकाई ‘रिलायंस इंटेलिजेंस’ (Reliance Intelligence) बनाने का फैसला किया है। इसे लेकर कंपनी का उद्देश्य है कि भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में हर एक मोड़ पर वैश्विक स्तर पर मजबूती देना और देश में अत्याधुनिक एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के एनुवल मीटिंग में इस सबसे बार बड़ा एलान किया गया है।कंपनी ने नई इकाई ‘रिलायंस इंटेलिजेंस’ (Reliance Intelligence) बनाने का फैसला किया है। इसे लेकर कंपनी का उद्देश्य है कि भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में हर एक मोड़ पर वैश्विक स्तर पर मजबूती देना और देश में अत्याधुनिक एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना।
गूगल के साथ मिलकर रीलेंस का बड़ा कदम
बता दें कि रिलायंस ने इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए गूगल क्लाउड के साथ साझेदारी की है। गूगल और रीलेंस एक साथ मिलकर एक ऐसा AI क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेंगी जो पूरी तरह ग्रीन एनर्जी से संचालित होगा। इस इंफ्रास्ट्रक्चर को जियो के मजबूत नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इससे भारत में तेज़ी से एआई का विस्तार संभव हो सकेगा.
– विशाल डेटा सेंटर होंगे तैयार
– रिलायंस इंटेलिजेंस देशभर में गीगावॉट स्तर के डेटा सेंटर बनाने जा रही है।
– गुजरात के जामनगर में पहला डेटा सेंटर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
– ये डेटा सेंटर भारत में एआई एप्लिकेशन और रिसर्च को शक्ति देंगे और वैश्विक स्तर की कंपनियों को भी आकर्षित करेंगे।
किन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ?
रिलायंस इंटेलिजेंस केवल टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे जरूरी क्षेत्रों के लिए भी एआई सॉल्यूशंस तैयार करेगी। शिक्षा में एआई से छात्रों को पर्सनलाइज्ड लर्निंग अनुभव मिलेगा. हेल्थ सेक्टर में रोगों की पहचान और इलाज अधिक सटीक और आसान होगा. कृषि में किसानों को फसल प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान में मदद मिलेगी।
एआई टैलेंट को मिलेगा प्लेटफॉर्म
रिलायंस इंटेलिजेंस सिर्फ तकनीक तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह देश के एआई रिसर्चर्स, इंजीनियरों और डिजाइनरों को भी एक मंच देगी. यहां वे अपने विचारों को नये इनोवेशन और प्रोडक्ट्स में बदल सकेंगे. इससे भारत में एआई टैलेंट का विकास होगा और ग्लोबल स्तर पर पहचान भी मिलेगी.
एआई का भविष्य भारत में
रिलायंस और गूगल मिलकर AI हाइपरकंप्यूटर, AI स्टैक और जेनरेटिव AI मॉडल्स पर काम करेंगे. यानी एआई को चलाने, बनाने और इस्तेमाल करने के लिए जो भी संसाधन चाहिए, वे सब भारत में ही उपलब्ध होंगे.