पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) में कब होंगे आम चुनाव? यह बहुत दिनों से रहस्य बना हुआ था, लेकिन आखिरकार अब इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने गुरुवार को देश के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि बहुप्रतीक्षित आम चुनाव (General Elections) अगले साल 2024 में 11 फरवरी को होंगे।
इस्लामाबाद। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) में कब होंगे आम चुनाव? यह बहुत दिनों से रहस्य बना हुआ था, लेकिन आखिरकार अब इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने गुरुवार को देश के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि बहुप्रतीक्षित आम चुनाव (General Elections) अगले साल 2024 में 11 फरवरी को होंगे। यह आगामी चुनावों के समय के संबंध में विवाद का परिणाम है। बता दें कि पाकिस्तान में कानून है कि नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं के विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव होने चाहिए।
डॉन अखबार (Dawn Newspaper) की रिपोर्ट के अनुसार, निर्वाचन निकाय (Electoral Body) के वकील सजील स्वाति ने आज खुलासा किया कि निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण की प्रक्रिया 29 जनवरी तक पूरी हो जाएगी, जिससे चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। यह खुलासा एक सुनवाई के दौरान हुआ, जहां सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA), पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), मुनीर अहमद और इबाद-उर-रहमान सहित विभिन्न पक्षों द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं पर सुनवाई की।
अदालत ने पहले ECP और संघीय सरकार दोनों को 90 दिनों के भीतर चुनाव की समय-सीमा पर अपना इनपुट देने के लिए नोटिस जारी किया था। पाकिस्तान (Pakistan) के मुख्य न्यायाधीश (CJP) काजी फैज ईसा ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई चुनाव चाहता है। सुनवाई के दौरान PTI के वकील अली जफर ने दलील दी कि चुनाव 90 दिन की अवधि के भीतर होने चाहिए। हालंकि, CJP ईसा ने कहा कि यह अनुरोध अप्रभावी हो गया है। जफर ने दलील दी कि चुनाव कराने में देरी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
PTI द्वारा चुने गए पाकिस्तान (Pakistan) के राष्ट्रपति ने शुरू में 6 नवंबर तक चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कानून और न्याय मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि चुनाव की तारीख की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास नहीं, बल्कि ECP के पास है। देश की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सामने अब इस विवाद को सुलझाने, चुनाव की तारीख तय करने में राष्ट्रपति और ECP की भूमिका पर विचार करने का काम है।