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पीएम मोदी के ‘श्रमेव जयते’ के भाव को आत्मसात करते हुए हमें ऐसे सुधार करने होंगे, जो श्रमिकों और उद्यमियों, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हों: सीएम योगी

यह भी उतना ही आवश्यक है कि औद्योगिक विकास के साथ श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधा की गारंटी सुनिश्चित हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'श्रमेव जयते' के भाव को आत्मसात करते हुए हमें ऐसे सुधार करने होंगे, जो श्रमिकों और उद्यमियों, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हों।

By शिव मौर्या 
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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में ‘सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025’ के प्राविधानों पर चर्चा की तथा आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि Ease of Doing Business को और सशक्त बनाने के लिए नए कदम उठाना समय की मांग है। साथ ही, यह भी उतना ही आवश्यक है कि औद्योगिक विकास के साथ श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधा की गारंटी सुनिश्चित हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘श्रमेव जयते’ के भाव को आत्मसात करते हुए हमें ऐसे सुधार करने होंगे, जो श्रमिकों और उद्यमियों, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हों।

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उन्होंने आगे कहा, अनावश्यक दण्डात्मक प्राविधानों को समाप्त कर, उनकी जगह पारदर्शी और न्यायसंगत व्यवस्था लागू करना वर्तमान की जरूरत है। आपत्तियों और सुझावों पर गम्भीरता से विचार करते हुए ‘सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025’ को ऐसा स्वरूप दिया जाए, जो उद्योग और श्रमिकों के हितों में संतुलन स्थापित करता हो। निरीक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए स्व-सत्यापन और थर्ड पार्टी ऑडिट की प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। इन सुधारों से जहां उद्योगों का बोझ कम होगा, वहीं श्रमिकों का हित भी सुरक्षित होगा।

मुख्यमंत्री के के निर्देशानुसार, यूपी सरकार शीघ्र ही ‘सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025’ लाने जा रही है। इसके अंतर्गत, आबकारी अधिनियम, शीरा अधिनियम, वृक्ष संरक्षण अधिनियम, राजस्व संहिता, गन्ना अधिनियम, भूगर्भ जल अधिनियम, नगर निगम अधिनियम, प्लास्टिक कचरा निस्तारण अधिनियम, सिनेमा अधिनियम तथा क्षेत्र व जिला पंचायत अधिनियम सहित कई कानूनों को अधिक व्यावहारिक स्वरूप दिया जाएगा। इनमें जहां पहले कारावास की सजा का प्राविधान था, वहां अब अधिक आर्थिक दण्ड व प्रशासनिक कार्रवाई को वरीयता देने की योजना है।

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, प्रदेश में उद्योग और व्यापार से जुड़े 13 राज्य अधिनियमों में लगभग 99% आपराधिक प्राविधान समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। शीघ्र ही, उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जो व्यावहारिकता के दृष्टिकोण से इतने बड़े पैमाने पर आपराधिक प्राविधानों को गैर-आपराधिक श्रेणी में परिवर्तित करेगा।

 

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