अक्सर आपने देखा होगा कि बच्चे अपने माता पिता में पिता के ज्यादा करीब होते है। अगर उन्हें कोई भी दिक्कत या परेशानी होती है...
अक्सर आपने देखा होगा कि बच्चे अपने माता पिता में पिता के ज्यादा करीब होते है। अगर उन्हें कोई भी दिक्कत या परेशानी होती है तो वो अपनी मां से कहने की बजाय अपने पिता के साथ शेयर करना पसंद करते है। क्योंकि मां और पापा के किसी भी चीज को लेकर सोचने और देखने का नजरिया अलग होता है।
अगर किसी चीज को लेकर मां बच्चे को नाराज होकर डांटकर समझाएंगी तो वहीं पापा उसी परिस्थिती को अनदेखी कर समझा क नार्मल बाते करने लगते हैं।
माएं आमतौर पर चिंता करती हैं और कभी-कभी अपने बच्चों से जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर भी भड़क जाती हैं। अगर बच्चा किसी तरह की मुश्किल में होता है तो वह बहुत अधिक परेशान हो जाती हैं। लेकिन पापा इस मामले में थोड़े अलग होते हैं।
अगर खेल खेलते समय कट या खरोंच लग जाती है तो पापा कहते हैं कि यह खेल का हिस्सा है। अगर बच्चा कुछ समय से नहीं खा रहा है तो पापा को विश्वास होगा कि जब भूख लगेगी तो खा लेंगे।
एक्टिव गेम्स खेलना यूं तो अमूमन मम्मी-पापा अपने बच्चे के साथ वक्त बिताना और खेलना पसंद करते हैं। लेकिन खेलों के चुनाव को लेकर दोनों की सोच अलग हो सकती है।
जैसे मम्मी अक्सर बच्चों के साथ बैठकर गेम खेलना पसंद करती हैं या फिर बैडमिंटन आदि को प्राथमिकता देती हैं, जबकि पिता उनके साथ क्रिकेट व रनिंग जैसी एक्टिविटीज में शामिल होते हैं। इस तरह की एक्टिविटीज ना केवल बच्चे को बेहद पसंद आती हैं, बल्कि इससे उनकी फिजिकल फिटनेस भी बेहतर होती है।