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निर्देशक पवन कुमार की विचारोत्तेजक फ़िल्मों की कड़ी में जुड़ा एक नया नाम ‘मोरल कॉप’

फ़िल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे मोबाइल का अतिशय प्रयोग विचारशीलता का नाश कर एक भोले भाले इंसान को हैवान बना सकता है। फ़िल्म उन अभिवाहकों को भी जागरूकता का टेर देती है जो अपनी रुचिप्रद गतिविधियों में अपने बच्चों द्वारा व्यवधानित होने से बचने के लिए अपने बच्चों के हाथों में मोबाइल के रूप में एक ऐसा ख़तरनाक उपस्कर थमा देते हैं जो उन्हें भटकाकर मूल्यों से, रचनात्मकता से, खेलों के मैदान से दूर ले जाता है।

By शिव मौर्या 
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लखनऊ। अपनी असरदार कहानियों से आंदोलित करने वाले पवन कुमार जल्दी ही स्तुति इंटरटेनमेंट और श्रीनिका फ़िल्म्स के बैनर तले ‘मोरल कॉप’ नाम की एक बेहद ही विचारोत्तेजक फ़िल्म लेकर आ रहे हैं जिसके मुख्य कलाकार हैं यजुवेंद्र प्रताप सिंह, राजेश जैस, जहाँगीर खान, सुनील भार्गव, प्रतीक्षा सिंह,आरव शुक्ला, प्रिया विश्वनाथ, योगेश परिहार, सतीश त्रिवेदी,नरेंद्र पंजवानी, पंकज टिटोरिया, राम गंगवार,बृजभूषण,सर्वदमन सिंह, अमरेश और देविका सिंह।

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फ़िल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे मोबाइल का अतिशय प्रयोग विचारशीलता का नाश कर एक भोले भाले इंसान को हैवान बना सकता है। फ़िल्म उन अभिवाहकों को भी जागरूकता का टेर देती है जो अपनी रुचिप्रद गतिविधियों में अपने बच्चों द्वारा व्यवधानित होने से बचने के लिए अपने बच्चों के हाथों में मोबाइल के रूप में एक ऐसा ख़तरनाक उपस्कर थमा देते हैं जो उन्हें भटकाकर मूल्यों से, रचनात्मकता से, खेलों के मैदान से दूर ले जाता है।

फ़िल्म बड़ी प्रभावशीलता के साथ यह बात भी कहती है कि मोबाइल बच्चों के लिये एक ऐसा तिलिस्मी क़ैदख़ाना है जिसके अंदर जाने का रास्ता बड़ा सरल है, पर बाहर निकलने का रास्ता अत्यंत दुखद। पवन कुमार इस फ़िल्म को प्रयोगात्मक सिनेमा के एक नये अध्याय के रूप में देख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि फ़िल्म कलात्मक गहराई के साथ व्यवसायिक पुट भी लिये होगी और क्लास और मास दोनों की स्वाद कलिकाओं को भाएगी। निर्देशक द्वारा इस अन्वेषणात्मक तर्ज़ पर दो हज़ार चौबीस तक दो और फ़िल्में बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है।

बता दें कि, लेखक, निर्देशक पवन कुमार अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, बोमन ईरानी, अनुपम खेर, पंकज त्रिपाठी जैसे धाकड़ अभिनेताओं की उपस्थिति से दिप्तमान अपनी डॉक्युफ़िल्म ‘नाम था कन्हैयालाल’ के लिए काफ़ी तारीफ़ें बटोर चुके हैं जो वर्तमान में जियो सिनेमा में दिखाई जा रही है। फ़िल्म मोरल कॉप की शूटिंग लखनऊ और समीपवर्ती इलाकों में की गयी है जिसमें कई स्थानीय कलाकारों की भागीदारी है। शूटिंग से पहले लखनऊ में दस दिवसीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था। अपने हार्ड हिटिंग विषय के साथ लोगों के मन को झकझोरने का मंसूबा लिए यह फ़िल्म सिनेमा के पर्दे पर बृहद स्तर पर प्रदर्शित होने जा रही है।

 

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