शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम पर सवाल उठाया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि, राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में चारों शंकराचार्य नहीं जाएंगे। शंकराचार्य केवल धर्म व्यवस्था देते हैं, मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है, इसलिए आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना धर्म सम्मत नहीं है।
लखनऊ। श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं। इन तैयारियों के बीच बड़ी संख्या में आमंत्रित लोग राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंचेंगे। हालांकि, हिंदू धर्म के चारों शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उनकी तरफ से कई सवाल भी उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, राम मंदिर का उद्घाटन का कार्यक्रम वैदिक धर्मग्रंथों और नियमों के विरुद्ध है। शंकराचार्यों के बयान के बाद कई तरह की टिप्प्णियां भी आ रहीं हैं।
दरअसल, हिंदू धर्म में शंकराचार्य ही हमारी आस्था के सर्वोच्च हैं। हिंदू धर्म में शंकराचार्यों को सम्मान और आस्था की नज़र से देखा जाता रहा है। ऐसे में शंकराचार्य यदि प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है हमारी आस्था और धार्मिक रीति रिवाजों के अनुरूप नहीं हो पा रहा है। इसके लिए शंकराचार्य शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जो बातें कहीं हैं उससे लगता है कि इस कार्यक्रम में धार्मिक रीति रिवाजों का पालन नहीं हो रहा है।
Modi will unveil & touch Lord Ram’s Murthy & I will sit and clap? Asks Swami Nischalanand Saraswati, Shankaracharya of Govardhanmatth Puripeethadheeshwar!
Literally everyone knows that Ram Mandir has become a private affair of BJP to win election & none wants to visit during… pic.twitter.com/OhWUxjNJba
— Vijay Thottathil (@vijaythottathil) January 4, 2024
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जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम पर सवाल उठाया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि, राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में चारों शंकराचार्य नहीं जाएंगे। शंकराचार्य केवल धर्म व्यवस्था देते हैं, मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है, इसलिए आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना धर्म सम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्यों ने यह फैसला किसी राग द्वेष के कारण नहीं लिया है। हम एंटी मोदी नहीं है, लेकिन हम एंटी धर्म शास्त्र भी नहीं होना चाहते। साथ ही उन्होंने श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय के बयान पर सवाल उठाया, उन्होंने कहा कि चंपत राय को जानना चाहिए कि शंकराचार्य और रामानंद संप्रदाय के धर्मशास्त्र अलग-अलग नहीं हैं।
22 जनवरी के प्रतिष्ठा के पूर्व रामानन्द सम्प्रदाय को मन्दिर सौंपे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट –
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय जी के इस बयान पर पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती '१००८' की प्रतिक्रिया… pic.twitter.com/h0IqLN8wFe
— 1008.Guru (@jyotirmathah) January 9, 2024
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ओडिशा के जगन्नाथपुरी में स्थित गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। बीते दिनों शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि, आज सभी प्रमुख धर्मस्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है। साथ ही कहा, मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे, तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या? मेरे पद की भी मर्यादा है। राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊं।