1. हिन्दी समाचार
  2. तकनीक
  3. AI Created History : OpenAI ने ‘इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड’ में जीता गोल्ड मेडल , जानें क्यों है ये इतनी बड़ी बात

AI Created History : OpenAI ने ‘इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड’ में जीता गोल्ड मेडल , जानें क्यों है ये इतनी बड़ी बात

OpenAI, जो ChatGPT बनाने वाली कंपनी है। उसके एक नए AI मॉडल ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा है। इस AI ने दुनिया की सबसे मुश्किल मानी जाने वाली गणित की प्रतियोगिता, इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड (IMO) में गोल्ड मेडल जीतने जैसा प्रदर्शन किया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। OpenAI, जो ChatGPT बनाने वाली कंपनी है। उसके एक नए AI मॉडल ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा है। इस AI ने दुनिया की सबसे मुश्किल मानी जाने वाली गणित की प्रतियोगिता, इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड (IMO) में गोल्ड मेडल जीतने जैसा प्रदर्शन किया है।

पढ़ें :- Goa Nightclub Fire: नाइटक्लब के मालिक के खिलाफ दर्ज हुई FIR, जांच में पाई गईं कई कमियां

OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने इसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह इस बात का एक बड़ा सबूत है कि AI पिछले दस सालों में कितना आगे बढ़ चुका है।

आखिर AI ने ऐसा क्या किया?

OpenAI के इस नए एक्सपेरिमेंटल मॉडल को इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड का एग्जाम दिलाया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसने 6 में से 5 सवालों को बिल्कुल सही-सही हल कर दिया। यह परीक्षा उन्हीं शर्तों के तहत दी गई, जिनके तहत इंसान देते हैं।

इस खबर पर AI पर अक्सर सवाल उठाने वाले गैरी मार्कस ने भी कहा कि वह इससे “प्रभावित” हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह मॉडल आम लोगों के लिए कितना फायदेमंद होगा, यह देखना अभी बाकी है।

पढ़ें :- Indigo Crisis : ए चौकीदार…बोला के जिम्मेदार? नेहा सिंह राठौर ने साधा निशाना, बोलीं- सरकार पर भरोसा रखिए वो आपको सही जगह पहुंचा कर ही दम लेगी…

इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड (IMO) इतना खास क्यों है?

इंटरनेशनल मैथ ओलंपियाड कोई मामूली परीक्षा नहीं है। इसे गणित की दुनिया का ‘ओलंपिक’ माना जाता है। यह प्रतियोगिता 1959 में रोमानिया में शुरू हुई थी और आज यह दुनिया की सबसे कठिन प्रतियोगिताओं में से एक है।

यह दो दिनों तक चलती है, जिसमें प्रतियोगियों को साढ़े चार घंटे के दो एग्जाम देने होते हैं। हर एग्जाम में तीन सवाल होते हैं। इसके कुछ मशहूर विजेताओं में ग्रिगोरी पेरेलमैन और टेरेंस ताओ जैसे गणित के दिग्गज शामिल हैं, जिन्हें गणित का सबसे बड़ा सम्मान ‘फील्ड्स मेडल’ मिल चुका है।

बड़े-बड़े एक्सपर्ट भी हैरान

मज़े की बात यह है कि गणित के जीनियस माने जाने वाले टेरेंस ताओ ने अभी जून में ही एक पॉडकास्ट में कहा था कि AI का IMO में अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल है। उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि रिसर्चर्स को थोड़ा छोटा लक्ष्य रखना चाहिए।

पढ़ें :- सिंगर सिद्धू मूसेवाला और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के हत्यारोपी शशांक पाण्डेय को बिहार पुलिस ने किया गिरफ्तार

फिर भी, OpenAI के मॉडल ने 6 में से 5 सवाल हल करके सबको चौंका दिया। OpenAI के एक कर्मचारी, नोआम ब्राउन ने कहा कि इस मॉडल ने लंबे समय तक रचनात्मक तरीके से सोचने की क्षमता दिखाई है, जो पहले के AI मॉडलों में नहीं थी।

यह सिर्फ गणित का AI नहीं है

OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने साफ किया कि यह कोई खास तौर पर गणित के लिए बनाया गया सिस्टम नहीं है, जैसा कि गूगल का AlphaGeometry है। उन्होंने कहा कि यह एक LLM (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) है जो गणित हल कर रहा है। यह हमारी जनरल इंटेलिजेंस (व्यापक बुद्धि) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उन्होंने यह भी कहा ​कि जब हमने OpenAI शुरू किया था, तो यह एक सपने जैसा लगता था। यह वाकई में एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इस ‘गोल्ड मेडल’ लेवल की क्षमता वाला मॉडल आम जनता के लिए कई महीनों तक उपलब्ध नहीं होगा।

यह घटना दिखाती है कि AI तकनीक कितनी तेजी से विकसित हो रही है। पिछले साल ही, AI लैब स्कूली बच्चों के गणित का इस्तेमाल अपने मॉडलों को परखने के लिए कर रहे थे।

लेकिन कुछ सवाल अभी भी बाकी हैं?

पढ़ें :- VIDEO-कलयुगी औलाद : विधवा मां से बेटी कुछ तो फायदा उठाओ और मुझे एक अमीर बाप दे दो...

हमेशा की तरह, इस बड़ी उपलब्धि पर कुछ सवाल भी उठाए जा रहे हैं। AI की आलोचना करने वाले गैरी मार्कस ने इसे “वास्तव में प्रभावशाली” तो कहा लेकिन उन्होंने कुछ ज़रूरी सवाल भी पूछे:

इस मॉडल को ट्रेन करने के लिए किस डेटा का इस्तेमाल किया गया?

यह असल में कितना “जनरल इंटेलिजेंस” वाला है?

आम लोगों के लिए इसका क्या उपयोग होगा?

एक सवाल हल करने में कितना खर्चा आता है?

मार्कस ने यह भी बताया कि इन नतीजों की अभी तक IMO ने स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है। कुल मिलाकर, यह AI की दुनिया में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि यह तकनीक असल दुनिया में हमारे लिए कितनी उपयोगी साबित होती है।

पढ़ें :- इंडिगो पर सरकार का दबाव इसलिए नहीं है क्योंकि इनसे इन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड लिए थे...अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को घेरा
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...