नई दिल्ली। महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर संत प्रेमानंद महाराज विवादों में घिर गए है। लोग लगातार उनको ट्रोल कर रहे है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग उनके बयान की निंदा कर रहे हैं, खासतौर पर महिलाओं ने इसे लेकर तीव्र विरोध जताया है। इस बीच संत प्रमानंद महाराज ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
नई दिल्ली। महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर संत प्रेमानंद महाराज विवादों में घिर गए है। लोग लगातार उनको ट्रोल कर रहे है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग उनके बयान की निंदा कर रहे हैं, खासतौर पर महिलाओं ने इसे लेकर तीव्र विरोध जताया है। इस बीच संत प्रमानंद महाराज ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होने अपने सौशल मीडिया चैनल पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि सच कड़वा होता है। इसलिए उसे कोई सुनना नहीं चाहता है।
उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए एक प्रवचन में अपनी बात रखी और आलोचनाओं को जवाब दिया। संत ने कहा कि सच्ची बात अगर किसी को समझाई जाती है तो वह अक्सर बुरी लगती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वह बात गलत है। संत प्रेमानंद ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी केवल भौतिक सुखों को देख रही है और आध्यात्म से दूर होती जा रही है। उन्होंने अपने बयान को समझाते हुए कहा, नाली का कीड़ा अगर नाली में सुखी है तो उसे अमृतकुंड में डाल दो, उसे अच्छा नहीं लगेगा। इस प्रतीकात्मक टिप्पणी के जरिए उन्होंने इशारा किया कि जिन लोगों की सोच भौतिक स्तर पर सीमित है, उन्हें अध्यात्म और नैतिकता की बात ‘कड़वी’ लग सकती है।
कड़वा बोलने वाले को तो सहना ही पड़ता है
संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब कोई व्यक्ति ग़लत आचरण करता है, तो उसे सुधार की बात बुरी लग सकती है। अगर सही बात को समझाने पर भी कोई बुरा मानता है, तो वह उसकी सोच की समस्या है। हमने अगर कड़वा भी कहा, तो भी तुम्हें सुनना पड़ेगा क्योंकि तुम सुधरने आए हो। संत प्रेमानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आज की पीढ़ी नशा, रिलेशनशिप और भटकाव की ओर तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा, बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बनाना बंद करो, नशा मत करो और माता-पिता की आज्ञा में रहो। यही तुम्हारा भला करेगा। उन्होंने चेतावनी भी दी कि गलत राह पर चलने से अंततः डिप्रेशन, अपराध और जेल तक की नौबत आ सकती है।
संतो को रोकोगे तो कौन बताएगा सही और गलत
अपने उपदेश को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि अगर संतजन भी मौन हो जाएं, तो लोगों को सही और गलत की पहचान कौन कराएगा। अगर संत और शास्त्रों की बातों को ठुकराओगे तो फिर माया में फंसे रह जाओगे। सोचो, समझो और अपने जीवन की दिशा तय करो।