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Ayodhya Ramlila : शम्सुर्रहमान नावेद ने रामलीला में प्रभु श्रीराम के चरित्र को किया जीवंत, बोले- भगवान केवल हिंदू धर्म तक नहीं सीमित

Ayodhya Ramlila : भगवान प्रभुश्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के प्रतिष्ठा द्वादशी कार्यक्रम में पहली बार राम मंदिर परिसर (Ram Mandir Premises) में रामलीला (Ramlila) का मंचन किया गया। अंगद टीला (Angad Tila) पर आयोजित कार्यक्रम के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बने। खास बात यह रही कि प्रभु श्रीराम की भूमिका का मंचन शमसुर्रहमान नावेद (Shamsur Rahman Naved) ने किया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Ayodhya Ramlila : भगवान प्रभुश्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के प्रतिष्ठा द्वादशी कार्यक्रम में पहली बार राम मंदिर परिसर (Ram Mandir Premises) में रामलीला (Ramlila) का मंचन किया गया। अंगद टीला (Angad Tila) पर आयोजित कार्यक्रम के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बने। खास बात यह रही कि प्रभु श्रीराम की भूमिका का मंचन शमसुर्रहमान नावेद (Shamsur Rahman Naved) ने किया। उन्होंने अपनी प्रतिभा से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और प्रभु श्रीराम (Lord Shri Ram) के चरित्र को जीवंत बना दिया।

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लखनऊ की संस्था कल्चरल क्वेस्ट (Cultural Quest) की ओर से राम मंदिर परिसर (Ram Mandir Premises)में भरत नाट्यम (Bharat Natyam) के जरिये सुंदरकांड का मंचन (Sunderkand Staged) किया गया। कड़ाके की ठंड के बाद भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सुंदरकांड की महिमा जानी। सुरभि कहती हैं कि यों तो अयोध्या उनके लिए नया नहीं है। उन्होंने रामायण मेला व रामोत्सव (Ramayana Mela and Ramotsav) में भी प्रस्तुति दी है, लेकिन पहली बार राम मंदिर में प्रस्तुति देकर वह और उनकी टीम धन्य हो गई। प्रभु श्रीराम का साक्षात दर्शन करने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि शमसुर्रहमान संस्था से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। वह राम के चरित्र को अपने में आत्मसात करते हैं। लंबे समय से वह इस भूमिका का निवर्हन कर रहे हैं।

जानें कौन हैं शम्सुर्रहमान नावेद?

शमसुर्रहमान नावेद (Shamsur Rahman Naved)  का कहना है कि सुंदरकांड उन्हें प्रिय है। पहली बार खुद प्रभु श्रीराम के दरबार में मंचन का सौभाग्य मिला। प्रभु के चरणों में प्रस्तुति देकर वह अपने को धन्य मान रहे हैं। शमसुर्रहमान नावेद (Shamsur Rahman Naved) बीएससी पास आउट हैं। फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया हुआ है। पढ़ाई के बाद उन्होंने भरत नाट्यम की शिक्षा ली। वो कहते हैं कि कला के क्षेत्र में धर्म उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। शमसुर्रहमान नावेद (Shamsur Rahman Naved) का कहना है कि हमारी संस्था का प्रयास है कि रामनगरी में विश्वस्तरीय रामायण की कल्पना साकार हो। इंडोनेशिया, जकार्ता में इस प्रकार की व्यवस्था है कि हर समय रामायण को जानने-सुनने का अवसर मिल जाता है। इसके लिए अयोध्या के राम मंदिर के पांच किलोमीटर की परिधि में स्थान चयनित किया जा रहा है। इस दिशा में प्रदेश सरकार से भी बात चल रही है।

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रामनगरी में विश्वस्तरीय रामायण की कल्पना
सुरभि ने बताया कि उनकी संस्था का प्रयास है कि रामनगरी में विश्वस्तरीय रामायण की कल्पना साकार हो। इंडोनेशिया, जकार्ता में इस प्रकार की व्यवस्था है कि हर समय रामायण को जानने सुनने का अवसर मिल जाता है। इसके लिए राम मंदिर के पांच किलोमीटर की परिधि में स्थान चयनित किया जा रहा है। इस दिशा में प्रदेश सरकार से भी बात चल रही है।

यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले दो से तीन साल में यह परिकल्पना मूर्त रूप ले सकती है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास इसलिए भी जरूरी है कि रामनगरी आने वाले श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम के चरित्र, उनकी जीवनी को जानने का मौका मिल सके। यह सुविधा हर समय उपलब्ध होगी तो निश्चित रूप से इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

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