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Bangladesh Censorship : यूनुस की अंतरिम सरकार का मीडिया को निर्देश, शेख हसीना के बयानों को न प्रकाशित करें

अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Ousted Prime Minister Sheikh Hasina) को विशेष ट्रिब्यूनल की ओर से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद यूनुस सरकार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया संस्थानों को चेतावनी दी है कि वे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के किसी भी बयान का प्रकाशन या प्रसारण न करें।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। ​बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) की अंतरिम सरकार (Interim Government) ने प्रेस सेंसरशिप लागू (Press Censorship Imposed) करने की दिशा में कदम उठा लिया है। अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Ousted Prime Minister Sheikh Hasina) को विशेष ट्रिब्यूनल की ओर से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद यूनुस सरकार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया संस्थानों को चेतावनी दी है कि वे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के किसी भी बयान का प्रकाशन या प्रसारण न करें। इसके पीछे तर्क देते हुए अंतरिम सरकार ने कहा है कि ऐसे बयानों से राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है।

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बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार (The Daily Star) के मुताबिक, नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (NCSA) ने सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि हसीना के कथित बयानों में ऐसे निर्देश या अपील हो सकती हैं, जो हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों को भड़का सकती हैं और सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती हैं।

इस निर्देश में कहा गया, “हम मीडिया से राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जिम्मेदारी से कार्य करने का आग्रह करते हैं।” एजेंसी ने चिंता जताते हुए कहा कि कुछ मीडिया संस्थान दोषी और भगोड़ी करार दी जा चुकीं शेख हसीना (Sheikh Hasina) के कथित बयान प्रसारित या प्रकाशित कर रहे हैं। एनसीएसए ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के बयान प्रकाशित करना साइबर सिक्योरिटी ऑर्डिनेंस (Cyber ​​Security Ordinance) का उल्लंघन है। एजेंसी ने चेतावनी दी कि अधिकारी राष्ट्रीय अखंडता, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाली, जातीय या धार्मिक नफरत फैलाने वाली, या सीधे हिंसा को उकसाने वाली सामग्री को हटाने या प्रतिबंधित करने के लिए अधिकृत हैं।

एजेंसी के मुताबिक, फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर या अवैध रूप से किसी सिस्टम तक पहुंचकर नफरत फैलाने वाले भाषण, जातीय उकसावे या हिंसा के लिए नफरत फैलाना दंडनीय अपराध है, जिसकी सजा दो साल तक की जेल और अधिकतम 10 लाख टका जुर्माने (या इनमें से कोई एक) तक हो सकती है। विज्ञप्ति में कहा गया कि एजेंसी प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन मीडिया संस्थानों से अपील है कि वे किसी भी हिंसक, भड़काऊ या आपराधिक रूप से उकसाने वाले बयान को प्रकाशित करने से बचें और अपनी कानूनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक रहें।

अपदस्थ पीएम हसीना को एक दिन पहले ही सुनाई गई मौत की सजा

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गौरतलब है कि बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने सोमवार को 78 वर्षीय अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना (Ousted Prime Minister Sheikh Hasina)  को मौत की सजा सुनाई। उनकी सरकार पर पिछले वर्ष छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर क्रूर दमन के मामले दर्ज हुए थे। इसके बाद आईसीटी (ICT) ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई। पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल (Former Home Minister Asaduzzaman Khan Kamal) को भी इसी मामले में मृत्युदंड दिया गया। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (Interim Government) के प्रमुख मोहम्मद यूनुस (Chief Mohammad Yunus) ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह सिद्धांत स्थापित करता है कि कानून के सामने कोई भी शक्ति से ऊपर नहीं है।

हसीना बीते वर्ष पांच अगस्त को विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई थीं। इसके बाद बांग्लादेश की अदालत उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है। अपने खिलाफ ट्रिब्यूनल के फैसले पर हसीना ने बयान जारी कर आरोपों को पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया और कहा कि यह फैसला एक धांधलीपूर्ण न्यायाधिकरण (Fraudulent Tribunal) की ओर से दिया गया है, जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार ने स्थापित किया है इस सरकार के पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।

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