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Yashasvi Jaiswal: ’11 साल की उम्र में छोड़ा घर, टेंट में सोये और गोलगप्पे बेचे’, संघर्ष की आग में तपकर जायसवाल बनें ‘यशस्वी’

Story of struggle of Yashasvi Jaiswal: बीता साल भारतीय क्रिकेट जगत के लिए अच्छे-बुरे अनुभवों से भरा रहा। इस दौरान भारतीय टीम को भले ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और वनडे वर्ल्ड की दो ट्रॉफी जीतने से बस एक कदम दूर रह गयी, लेकिन कुछ युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से ये संकेत दिये कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य बेहद सुरक्षित हाथों में है। इन खिलाड़ियों में भारत के उभरते सितारे यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) का नाम भी शामिल है। जिन्हें आईसीसी ने हाल ही में मेन्स इमर्जिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड (ICC Men's Emerging Cricketer of the Year Award) के लिए नामित किया है।

By Abhimanyu 
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Story of struggle of Yashasvi Jaiswal: बीता साल भारतीय क्रिकेट जगत के लिए अच्छे-बुरे अनुभवों से भरा रहा। इस दौरान भारतीय टीम को भले ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और वनडे वर्ल्ड की दो ट्रॉफी जीतने से बस एक कदम दूर रह गयी, लेकिन कुछ युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से ये संकेत दिये कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य बेहद सुरक्षित हाथों में है। इन खिलाड़ियों में भारत के उभरते सितारे यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) का नाम भी शामिल है। जिन्हें आईसीसी ने हाल ही में मेन्स इमर्जिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड (ICC Men’s Emerging Cricketer of the Year Award) के लिए नामित किया है।

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भारत के बाएं हाथ के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने क्रिकेट के दो फॉर्मेट टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल में पिछले साल डेब्यू किया था। डेमोनिका में यशस्वी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट मैच में 171 रनों की पारी खेलकर दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं। इसके अलावा पिछले साल उन्होंने टी20 इंटरनेशनल में भी एक शतकीय पारी खेली। साल 2023 में यशस्वी ने टेस्ट में एक शतक 1 और अर्धशतक लगाए, जबकि टी20 इंटरनेशनल में उनके नाम 1 शतक और 3 अर्धशतक शामिल रहे। 22 साल के इस युवा खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सभी को काफी प्रभावित किया है। वहीं, आईसीसी की ओर से मेन्स इमर्जिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2023 के लिए दुनिया के चार श्रेष्ठ खिलाड़ियों में चुना जाना भी उनके लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। हालांकि, यशस्वी जायसवाल आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उनके संघर्ष की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। जिसे जानकर किसी के भी आंखों में आंसू आ जाएं। तो चलिये जानते हैं कि कैसे यशस्वी जायसवाल संघर्ष की आग में तपकर आज खरा सोना बनें हैं।

11 साल की उम्र में छोड़ा घर

यशस्वी जयसवाल का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां गांव में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था। यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल भदोही में एक छोटे से हार्डवेयर की दुकान चलाते थे। उनकी मां कंचन जायसवाल एक गृहिणी हैं। यशस्वी छह भाई-बहनों में से चौथे हैं। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट में रुचि थी। क्रिकेट के लिए उन्होंने महज 11 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। वह भारत के लिए खेलने के अपने सपने को पूरा करने के लिए बिना किसी मदद के मुंबई चले गए, वहां उनको बहुत संघर्ष करना पड़ा। जब वह 2012 में चाचा के पास मुंबई पहुंचे तो चाचा के पास इतना बड़ा घर नहीं था कि वह उन्हें भी उसमें रख सकें। फिर वो एक डेयरी दुकान में अपनी रातें गुजारते थे। परेशानी में घिरे यशस्वी एक डेयरी काम तो मिल गया, लेकिन बाद में उनका सामान उठाकर बाहर फेंक दिया गया और उन्हें डेयरी से बाहर निकाल दिया गया। यशस्वी ने खुद बताया था कि वह कल्बादेवी डेयरी में काम करते थे। पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद वह थक जाते थे और सो जाते थे। एक दिन उन्हें ये कहकर वहां से निकाल दिया कि वह सिर्फ सोते हैं और काम में कोई मदद नहीं करते।’ यशस्वी ने अपनी तकलीफों के बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताया। वह नहीं चाहते थे कि संघर्ष की कहानी भदोही तक पहुंचे, नहीं तो उनका क्रिकेट करियर ही खत्म हो जाएगा।

From Azad Maidan To Wankhede Stadium - Yashasvi Jaiswal's Journey In Pictures

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बंजारे की तरह टेंट में गुजारी रातें

काफी दिनों तक भटकने के बाद यशस्वी को रहने के लिए टेंट का ठिकाना मिल गया। बहुत साल तक वह मुंबई के आजाद मैदान के मुस्लिम यूनाइटेड क्लब टेंट में ही रहे। यहां पर वह रात को खाना बनाने का काम करते थे और दिन को क्रिकेट का अभ्यास करते थे। लेकिन टेंट में भी जिंदगी आसान नहीं थी, एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद बताया था कि बंजारे की तरह टेंट में रातें गुजारना भयानक अनुभव था। लाइट नहीं होती थी। पैसे इतने थे नहीं कि किसी बेहतर जगह जा सकें। यही नहीं, मैदान पर बने टेंट में आसरे के लिए भी उन्हें मेहनत करनी पड़ी। जब टेंट में सोने को जगह मिली तो वहां रहने वाले माली बुरा बर्ताव करते थे। कई बार तो पीट देते थे। पिताजी भी कई बार पैसे भेजते लेकिन वो मुंबई में रहने के लिए काफी नहीं होते थे।

The inspiring journey of Yashasvi Jaiswal

पेट पालने के लिए बेचें गोलगप्पे 

यशस्वी ने अपना पेट पालने के लिए आजाद मैदान में राम लीला के दौरान पानी-पूरी (गोलगप्पे) भी बेचे। कई रातें तो ऐसी भी गुजरीं जब उनको भूखा ही सोना पड़ा। यशस्वी ने बताया था कि, ‘रामलीला के समय उनकी अच्छी कमाई हो जाती थी। वह यही दुआ करते थे कि उनकी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं, लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे। उन्हें बहुत शर्म आती थी। वह हमेशा अपनी उम्र के लड़कों को देखते थे, वो घर से खाना लाते थे। उन्हें तो खुद बनाना था और खुद ही खाना था। टेंट में वह रोटियां बनाते थे। कई बार रात में परिवार की बहुत याद आती थी, वह सारी रात रोते थे।’

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भदोही से मुंबई पहुंचे यशस्वी की कहानी, डेयरी में काम किया, गोलगप्पे बेचे, और... - Yashasvi jaiswal life story struggle to reach mumbai from uttar pradesh bhadohi emotional remembering parents ...

कोच ज्वाला सिंह से मुलाक़ात 

यशस्वी का संघर्ष और भी लंबा होता, लेकिन यहां उनकी जिंदगी में कोच ज्वाला सिंह की एंट्री हुई और फिर एक सुनहरे सफर का आगाज हुआ। फिर स्‍थानीय क्रिकेट में यशस्‍वी के बल्‍ले की धमक सुनाई पड़ने लगी। 2013 दिसंबर में कोच ज्वाला सिंह की मुलाकात यशस्वी से हुई थी। एक इंटरव्यू में कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि जब वह यशस्वी से मिले तो उन्हें उनमें अपनी छवि दिखाई दी। वह भी गोरखपुर से ऐसे ही क्रिकेटर बनने आए थे। रमाकांत आचरेकर सर के पास क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। उस दौरान एक-एक रुपये के लिए भटके। लेकिन जब वह यशस्वी से मिले तो उन्होंने ठाना कि यह बच्चा ज्वाला (उनकी तरह) की तरह क्रिकेटर बनने से चूकना नहीं चाहिए। उन्होंने यशस्वी को अपने पास अपने घर में रखने का फैसला किया। यशस्वी को 2013 से 2022 तक उन्होंने अपने पास रखा।

India in West Indies: 'I will live my dream through Yashasvi' - Rediff.com

साल 2015 में सुर्खियों में आए यशस्वी

यशस्वी जायसवाल पहली बार 2015 में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने जाइल्स शील्ड मैच में नाबाद 319 रन बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर उन्हें मुंबई की अंडर-16 टीम में चुना गया, उसके बाद भारत की अंडर-19 टीम में चुना गया। उनका प्रदर्शन बेहतर होता रहा और उन्हें 2018 एसीसी अंडर-19 एशिया कप में टूर्नामेंट का खिलाड़ी चुना गया, जिसे भारत ने जीता। उसके बाद उन्होंने बल्ले से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन जारी रखा। अंडर-19 खेलते हुए ही यशस्वी अर्जुन तेंदुलकर के संपर्क में आए। अर्जुन ने यशस्‍वी के बारे में पिता सचिन तेंदुलकर को बताया। यशस्‍वी की मेहनत से सचिन काफी प्रभावित हुए और उन्‍होंने अपने ऑटोग्राफ वाला बैट उन्‍हें गिफ्ट में दिया।

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When Yashasvi Jaiswal was sent back from stage for not wearing cricketing whites

U19 वर्ल्ड कप 2020 में बनें प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट

यशस्वी जायसवाल ने 7 जनवरी 2019 को रणजी ट्रॉफी में मुंबई क्रिकेट टीम के लिए प्रथम श्रेणी में डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने 28 सितंबर 2019 को विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में अपना डेब्यू किया। 2019 में मुंबई के लिए खेलते हुए यशस्वी ने 17 साल की उम्र में झारखंड के खिलाफ 154 गेंदों में 203 रन बनाए ठोक डाले। इसी के साथ वह विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए। उनकी इस उपलब्धि ने खूब सुर्खियां बटोरीं। उस सीजन उन्होंने छह पारियों में 112 से अधिक की औसत से 564 रन बनाए। यशस्वी के अविश्वसनीय प्रदर्शन ने उन्हें भारत की अंडर-19 टीम में जगह दिलाई और उन्हें 2020 अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में चुना गया।

U19 World Cup star Yashasvi Jaiswal's Player of the tournament trophy breaks into pieces | Cricket Times

यशस्वी ने अंडर-19 विश्व कप टीम में मिले मौके को खूब भुनाया और चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ भारत की 10 विकेट से जीत में 105 रनों की यादगार नाबाद पारी खेली। उन्होंने इस टूर्नामेंट में केवल छह मैचों में 400 रन बनाकर भारत को अंडर-19 विश्व कप फाइनल में पहुंचने में मदद करके क्रिकेट जगत में अपनी प्रसिद्धि को और बढ़ाया। हालांकि, भारत फाइनल में बांग्लादेश से हार गया, लेकिन टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाने वाले यशस्वी को प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट चुना गया। जिसके बाद यशस्वी को पूरे क्रिकेट जगत में प्रसिद्धि मिली। कई दिग्गज क्रिकेटरों ने उनकी सराहना की और कुछ ने तो उन्हें भारतीय क्रिकेट का उज्जवल भविष्य भी घोषित कर दिया।

आईपीएल में छाए यशस्वी

यशस्वी जायसवाल के लगातार शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर साल 2020 की आईपीएल नीलामी में उनको राजस्थान रॉयल्स ने 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा। लेकिन उस सीजन वह सिर्फ तीन मैच ही खेल पाए। इसके बाद आईपीएल सीजन 2021 में यशस्वी ने अपने खेल में सुधार कर 10 मैचों में 24.90 की औसत से 249 रन बनाए। आईपीएल 2022 में मेगा नीलामी से पहले राजस्थान रॉयल्स ने उनको 4 करोड़ रुपये में रिटेन किया।

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Yashasvi Jaiswal Net Worth: कितनी है यशस्वी जायसवाल की कमाई, रखते हैं कौन सी कार, जानिए यहां | Yashasvi Jaiswal net worth house car income salary ipl 2023 Rajasthan royals mumbai indians |

आईपीएल 2022 में यशस्वी जायसवाल ने 10 मैचों में 25.80 की औसत से 258 रन बनाए। आईपीएल 2023 में भी रॉयल्स ने जायसवाल को उतने ही रकम में बरकरार रखा। इस सीजन उन्होंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ आईपीएल में अपना पहला शतक लगाया। फिर, 11 मई 2023 को उन्होंने आईपीएल इतिहास का सबसे तेज आईपीएल अर्धशतक का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ खेलते हुए सिर्फ 13 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। 2023 आईपीएल सीजन में उन्होंने 14 मैचों में 48.08 की औसत और 163.61 के शानदार स्ट्राइक रेट से कुल 625 रन बनाए।

टेस्ट के डेब्यू मैच में शतक

आईपीएल में शानदार प्रदर्शन के बाद यशस्वी जायसवाल को जुलाई 2023 में वेस्टइंडीज दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में चुना गया। 12 जुलाई को, उन्होंने डेमोनिका में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट मैच में शतक जड़ा। 171 रन बनाकर वह डेब्यू मैच में सर्वोच्च स्कोर बनाने के मामले में शिखर धवन, रोहित शर्मा के बाद तीसरे भारतीय सलामी बल्लेबाज बन गए। साथ ही वह वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू में शतक लगाने वाले 17वें भारतीय बने। यशस्वी ने 8 अगस्त 2023 को वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 इंटरनेशनल में डेब्यू किया। यशस्वी ने अब तक भारत के लिए खेलते हुए 4 टेस्ट मैचों की 7 पारियों में 316 रन बनाए हैं। टी20 इंटरनेशनल की 14 पारियों में उन्होंने 430 रन बनाए हैं।

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यशस्वी जायसवाल की नेट वर्थ

यशस्वी जायसवाल का बचपन भले ही संघर्षों में गुजरा हो, लेकिन आज वह करोड़पति हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्तमान समय में यशस्वी की कुल नेटवर्थ लगभग 16 करोड़ रुपये है। उनकी सालाना इनकम लगभग 4 करोड़ रुपये है। उन्होंने हाल ही में मुंबई के ठाणे में एक 5 BHK फ्लैट अपने परिवार के लिए खरीदा है जिसकी कीमत करोड़ों में है। यशस्वी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही पूरी की। लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह ज्यादा नहीं पढ़ सके। 11 साल की उम्र में मुंबई जाने के बाद उन्होंने रिजवी स्प्रिंगफील्ड हाईस्कूल से स्कूलिंग की।

Meet Yashasvi Jaiswal's Parents

नोट- उपरोक्त आंकड़े खबर लिखे जाने तक की अवधि के हैं। 

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