जिगनेश मेवानी ने कहा कि, बिहार में कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा को जिस प्रकार समर्थन मिला, इससे गुजरात का युवा भी उत्साहित है। यदि भारत में जाति व्यवस्था नहीं होती, समाज जातियों में बंटा नहीं होता तो शायद जातिगत जनगणना की बात नहीं होती।
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा निकाली, जिसमें राहुल गांधी समेत कई अन्य नेता शामिल हुए। इसको लेकर आज पटना में कांग्रेस के नेताओं ने प्रेस कॉफ्रेंस की। इस दौरन कांग्रेस नेता जिगनेश मेवानी ने कहा कि, जातिगत जनगणना के बगैर हम नहीं पता कर सकते हैं कि किसकी-कितनी भागीदारी है, इसीलिए बिहार में हमारी सरकार बनते ही जातिगत जनगणना कराई जाएगी और हम इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
जिगनेश मेवानी ने कहा कि, बिहार में कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा को जिस प्रकार समर्थन मिला, इससे गुजरात का युवा भी उत्साहित है। यदि भारत में जाति व्यवस्था नहीं होती, समाज जातियों में बंटा नहीं होता तो शायद जातिगत जनगणना की बात नहीं होती।
बिहार में कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा को जिस प्रकार समर्थन मिला, इससे गुजरात का युवा भी उत्साहित है।
यदि भारत में जाति व्यवस्था नहीं होती, समाज जातियों में बंटा नहीं होता तो शायद जातिगत जनगणना की बात नहीं होती।
संविधान सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की बात कहता है,… pic.twitter.com/B5oL6o3Rp1
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— Congress (@INCIndia) April 12, 2025
उन्होंने आगे कहा, संविधान सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की बात कहता है, इसीलिए हमारे अध्यक्ष खरगे जी, राहुल गांधी जी डंके की चोट पर कहते हैं कि देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए। जातिगत जनगणना के बगैर हम नहीं पता कर सकते हैं कि किसकी-कितनी भागीदारी है, इसीलिए बिहार में हमारी सरकार बनते ही जातिगत जनगणना कराई जाएगी और हम इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
वहीं, इस दौर बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू ने कहा कि, देश में राज्यों के विकास के पैमाने को देखेंगे तो बहुत सारे महत्वपूर्ण पैमानों पर बिहार सबसे निचले स्तर पर है। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने ताकत लगाकर बिहार के लोगों को गरीबी की तरफ धकेलना का काम किया है।
जब हमारी सरकार थी तो हमने गरीबों के लिए योजना बनाई। इसमें 6,000 रुपए से कम की आमदनी वाले व्यक्ति को छोटे, लघु उद्योग शुरू करने के लिए सरकार से 2 लाख रुपए की सब्सिडी मिलती थी। इस स्कीम से बिहार के लगभग 94 लाख परिवारों को मदद मिली, लेकिन पलटी मारते ही नीतीश कुमार इस योजना के बारे में भूल गए। किसी भी सरकार का काम गरीब लोगों को ऊपर उठाना होता है, लेकिन बिहार की सरकार सिर्फ गरीबों को और नीचे ढकेलने में लगी है।