केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की जगह एक रोजगार गारंटी योजना लाने के लिए विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पेश करेगी। केंद्र सरकार यह विधेयक लोकसभा में पेश करेगी, जो पास होने पर मनेरगा को फिर से तैयार करेगा ताकि ग्रामीण विकास को बदला जा सके और ग्रामीण परिवारों को कानूनी मजदूरी-रोजगार की गारंटी दी जा सके।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme) की जगह एक रोजगार गारंटी योजना लाने के लिए विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (India-Employment and Livelihood Mission) विधेयक, 2025 पेश करेगी। केंद्र सरकार यह विधेयक लोकसभा में पेश करेगी, जो पास होने पर मनेरगा को फिर से तैयार करेगा ताकि ग्रामीण विकास को बदला जा सके और ग्रामीण परिवारों को कानूनी मजदूरी-रोजगार की गारंटी दी जा सके। इस विधेयक का मकसद ग्रामीण विकास को विकसित भारत 2047 के विजन के साथ जोड़ना है, जिसमें सशक्तिकरण, विकास, तालमेल और संतृप्ति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ताकि एक समृद्ध और मजबूत ग्रामीण भारत का निर्माण हो सके। इस विधेयक के तहत सार्वजनिक कार्यों को मिलाकर विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक बनाया जाएगा।
इस विधेयक में जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से संबंधित परियोजनाओं और जलवायु-लचीली पहलों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसका लक्ष्य कृषि के चरम मौसमों के दौरान पर्याप्त कृषि-श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और एकीकृत, संतृप्ति-संचालित योजना के लिए विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं को संस्थागत बनाना भी है। ये योजनाएं पीएम गति शक्ति से जुड़ी होंगी, जो जियोस्पेशियल सिस्टम, डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और राज्य-स्तरीय योजना तंत्र द्वारा संचालित होंगी। यह विधेयक एक आधुनिक डिजिटल गवर्नेंस फ्रेमवर्क अनिवार्य करता है। जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, GPS और मोबाइल-आधारित निगरानी, रियल-टाइम डैशबोर्ड, सक्रिय खुलासे और योजना, ऑडिटिंग और धोखाधड़ी जोखिम को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल शामिल हैं। विधेयक के तहत मुख्य परिभाषाओं में वयस्क सदस्य 18 वर्ष या उससे अधिक होना चाहिए। परिवार, ब्लॉक, कार्यान्वयन एजेंसियां, अकुशल शारीरिक कार्य और विकसित ग्राम पंचायत योजना शामिल हैं। यह कानून कार्यान्वयन की देखरेख के लिए केंद्रीय और राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदों के साथ-साथ राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय संचालन समितियों की भी स्थापना करता है। इस मजबूत ढांचे की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए विधेयक में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में, महात्मा गांधी नरेगा ने गारंटीशुदा मजदूरी-रोजगार प्रदान किया है। लेकिन ग्रामीण परिवर्तन, जिसमें बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा कवरेज, कनेक्टिविटी, आवास, विद्युतीकरण, वित्तीय समावेशन और डिजिटल पहुंच शामिल हैं।