आज विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) की गिनती भले ही नामचीन करोड़पतियों में से होती हो पर उनका ये समय हमेशा से ऐसा नहीं था। एक समय ऐसा भी था जब वे मात्र दस हजार रुपए महीना कमाते थे। उनकी शिक्षा भी हिंदी मीडिया में हुई थी।
तुम चाहो तो कीचड़ में कमल खिला सकते हो…….कौन जानता था ये प्रेरक पक्तियां लिखने वाला महज दसवीं क्लास का छात्र एक दिन देश दुनिया में अपना लोहा मनवा लेगा। हम बात कर रहे हैं डिजिटल पेमेंट के प्लेटफार्म पेटीएम ( Paytm) के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा (Paytm Founder and CEO Vijay Shekhar Sharma)की। जिन्होंने साल 1991 में दसवी क्लास में यह कविता लिखी थी जिसकी पक्तियां कुछ इस प्रकार हैं
मैं निर्धनता हूं
तुम मुझे मिटाना चाहते हो
या कुछ करके दिखाना चाहते हो
पर मुझे प्रिय हो………
आज विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) की गिनती भले ही नामचीन करोड़पतियों में से होती हो पर उनका ये समय हमेशा से ऐसा नहीं था। एक समय ऐसा भी था जब वे मात्र दस हजार रुपए महीना कमाते थे। उनकी शिक्षा भी हिंदी मीडिया में हुई थी। वो भी ऐसे स्कूल में जहां बच्चें बेंच पर नहीं बल्कि जमीन पर बैठ कर पढ़ते थे, उनके पैरों में जूते नहीं बल्कि चप्पल हुआ करती थी। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में आने वाली तमाम चुनौतियों का डट कर सामना किया और आज इस मकाम पर आ पहुंचे।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था जन्म
विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 8 जुलाई 1978 में हुआ था। 43 साल के विजय शेखर ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग जो अब दिल्ली टेक्नॉलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। उन्होंने देश के आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग का मुश्किल दौर भी देखा है। जब वह 12 साल के थे वे ऐसे स्कूल में पढ़ते थे जहां बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ते थे। बच्चे पैरों में चप्पल पहनकर आते थे। यह देखने के बाद उन्होंने जीवन की असमानताओं पर कविता लिखी थी। 27 साल की उम्र में दस हजार रुपए मात्र कमाते थे। लेकिन उनके सपनों की उड़ान बहुत ऊंची थी।
आसान नहीं था इंजीनियरिंग का सफर
विजय शेखर (Vijay Shekhar) के लिए इंजीनियरिंग भी इतना आसान नहीं था। जब उन्हें पता चला कि इंजीनियरिंग के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा अंग्रेजी में होती है। विजय की अंग्रेजी बहुत कमजोर थी। क्योंकि उनकी शिक्षा हिंदी मीडियम में थी। उनकी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम से थी लिहाजा अंग्रेजी बहुत ही कमजोर थी। अंग्रेजी भाषा में एंट्रेंस पास करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।
उन्होंने हार नहीं मानी दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए उन्होंने एक रास्ता निकाला। विजय दो किताबें खरीद कर लाएं एक हिंदी में और एक अंग्रेजी में जो उसी किताब का अनुवाद थी। एक समय में उन्होंने दोनो किताबें पढ़ी। जब प्रवेश परीक्षा में बैठे तो ऑब्जेक्टिव टाइप सवालों की बजाय जवाब पढ़कर सही उत्तर को पहचाना। आखिरकार उनकी मेहनत और प्रयास रंग लाई और 1994 में उन्हें दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश मिल गया।
इंजीनियरिंग के दौरान शुरु की पहली कंपनी
विजय ने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर इंटरनेट कंटेंट सर्च का काम की शुरुआत की। एक साल बाद कंपनी को एक मिलियन डॉलर में बेच दिया।
ऐसे की पेटीएम कंपनी की शुरुआत
विजय शर्मा ने पेटीएम ( Paytm) की पैरेंट कंपनी 197 की शुरुआत की। साल 2000 में मोबाइल की शुरुआत हुई थी। विजय शर्मा उस समय एक कंपनी में काम कर रहे थे जो सॉफ्टवेयर बनाने का काम करती थी। विजय ने देखा की टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ग्रो कर रहा और मोबाइल फोन में लोगो की दिलचस्पी भी बढ़ रही है। इस दौरान उन्हें कैशलेस ट्रांजक्शन (cashless transaction) का आईडिया आया।
विजय शेखर (Vijay Shekhar Sharma) ने अपने सपने को साकार करने के लिए पैसों का इंतजाम किया और अगस्त 2010 में पेटीएम की स्थापना की। परन्तु उस समय यह ज्यादा पॉपुलर नही था। बहुत कम ही लोग इस ऐप के बारे में जानते थे। लेकिन जब भारतीय सरकार की तऱफ से पांच सौ और हजार के नोट बंद करने का फैसला लिया गया तो पेटीएम लोगो के बीच फेमस हुआ।