हिंदू पंचांग में ग्रह नक्षत्रों की चाल गणना को दिया जाता है। इसी के आधार पर शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्त का पता चलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक है।
Chaturmas 2023 : हिंदू पंचांग में ग्रह नक्षत्रों की चाल गणना को दिया जाता है। इसी के आधार पर शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्त का पता चलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक है। शुभ मुहूर्त उस क्षण को कहते जब शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह एक साथ इकट्ठा होते है। सनातन धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य हमेशा मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। हिंदू धर्म में जीवन के सभी संस्कारों को मूहर्त देख कर किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है और ऐसे में शादी-विवाह, मुंडन, सगाई या गृह प्रवेश जैसे काम नहीं किए जाते।
देवप्रबोधिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी पर संसार के पालनहार भगवान विष्णु जाएंगे पाताल लोक में राजा बलि के घर विश्राम करने। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं। इस दौरान 29 जून से लेकर 23 नवंबर तक शुभ कामों पर लगेगा विराम। ज्योतिषाचार्य कहते हैं की अब देवउठनी एकादशी (23 नवंबर) से मांगलिक कार्यों का शुभ आरंभ होगा।
इस बार 5 माह का होगा चातुर्मास
जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर में तीन साल में एक बार लीप ईयर आता है, उसी तरह हिंदी कैलेंडर में भी तीन साल में एक बार लीप ईयर आता है जिसे अधिक मास कहते हैं। इस साल अधिक मास पड़ रहा है जिस वह से चातुर्मास 4 की जगह 5 महीने का होगा।