सनातन संस्कृति में शुभ - अशुभ का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार , किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक है। शुभ मुहूर्त उस क्षण को कहते जब शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह एक साथ इकट्ठा होते है।
Chaturmas 2024: सनातन संस्कृति में शुभ – अशुभ का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार , किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त होना आवश्यक है। शुभ मुहूर्त उस क्षण को कहते जब शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह एक साथ इकट्ठा होते है। सनातन धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य हमेशा मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है और ऐसे में शादी-विवाह, मुंडन, सगाई या गृह प्रवेश जैसे काम नहीं किए जाते।
वैदिक पंचांग के अनुसार, चातुर्मास की शुरुआत हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से होती है। इसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी एकादशी का बहुत महत्व है।
चातुर्मास
दरअसल, हिंदू धर्म में चातुर्मास यानी कि 4 महीने की वो अवधि है जब देव सोते हैं और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। इन चार महीनों में सावन, भादो, अश्विन और कार्तिक मास पड़ते हैं। इस दौरान व्रत, उपासना और साधना की जाती है। कार्तिक मास के बाद ही देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) होती है, जिसके बाद देव जागते हैं तब कहीं जाकर मांगलिक कार्य और शुभ काम शुरू होते हैं। इस साल चातुर्मास (Chaturmas) कब से शुरू हो रहे हैं जानिए यहां।
देवशयनी एकादशी
इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को पड़ेगी और इस एकादशी के बाद से ही भगवान विष्णु पूरे 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर श्री हरि योग निद्रा से बाहर आएंगे।
देवउठनी एकादशी
इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर, 2024 को मनाई जाएगी। ऐसे में 17 जुलाई से लेकर 12 नवंबर, 2024 तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे।
देवशयनी एकादशी कथा
देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक संसार के पालनहार भगवान विष्णु जाएंगे पाताल लोक में राजा बलि के महल में निवास करते हैं।
चातुर्मास के दौरान क्या ना करें
चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु शयन काल में होते हैं, इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे- शादी, विवाह, मुंडन, जनेऊ, नया वाहन खरीदना, नई प्रॉपर्टी खरीदना, घर का निर्माण करना, नया बिजनेस शुरू करना, भूमि पूजन करना आदि कार्यों से बचना चाहिए।