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अभिभावकों की उम्मीदों के बोझ तले दबते बच्चे, कोटा में क्यों बुझ रहे घरों के चिराग? बना बड़ा सवाल

कोटा को देश भर में IIT और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं के बेहतरीन नतीजे देने के लिए जाना जाता है, लेकिन औद्योगिक नगरी से शिक्षा नगरी में तब्दील हुए कोटा की फिजाओं में  निराशाओं का साया ऐसा आया। बीते साल 2023 में 26 स्टूडेंट ने भयावह कदम उठाकर आत्महत्या कर ली।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। ‘एजुकेशन हब’ (Education Hub) कहे जाने वाले राजस्थान (Rajasthan) के कोटा शहर (Kota City)  में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यहां देश भर से लाखों बच्चे हर साल पढ़ाई करने आते हैं। कोटा में पढ़ने आने वाले बच्चे ही इस शहर की कमाई का मुख्य जरिया है, लेकिन अब यहां कई अभिभावक पढ़ाई और बच्चों को बेहतर व्यवस्था दिलाने के नाम पर कई तरह के गोरखधंधे में फंस कर अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा गंवा देते हैं।

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कोटा के दलालों से कैसे बचें?

यदि आप अपने बच्चों को कोटा भेजना चाहते हैं तो खुद वहां पहुंचकर कोचिंग, हॉस्टल या पीजी फाइनल कीजिए। साथ ही समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग भी करते रहें। ऐसा इसलिए क्योंकि कोटा में स्टूडेंट्स से संबंधित काम-काज के लिए दलालों का बड़ा नेटवर्क एक्टिव हैं। यदि आप इसके चंगुल में पड़े तो आपको गुमराह कर उचित हॉस्टल में रूम ना दिलवाकर कमीशनखोरी करके आपको परेशान किया जा सकता है।

बता दें कि कोटा को देश भर में IIT और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं के बेहतरीन नतीजे देने के लिए जाना जाता है, लेकिन औद्योगिक नगरी से शिक्षा नगरी में तब्दील हुए कोटा की फिजाओं में  निराशाओं का साया ऐसा आया। बीते साल 2023 में 26 स्टूडेंट ने भयावह कदम उठाकर आत्महत्या कर ली। वैसे तो हर साल चुनौती पूर्ण परीक्षा, अभिभावकों की उम्मीदों का बोझ और घर से दूर अकेलेपन में जरा भी तनाव के चलते आत्महत्याओं की घटनाएं देखने को मिलती थी, लेकिन साल 2023 में कोचिंग स्टूडेंट की आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने सबको डरा दिया है।

कोटा में साल 2023 में 26 कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों के बाद जिला प्रशासन के साथ-साथ सरकार भी एक्शन मोड में नजर आई। आखिर कोटा में इतने कोचिंग स्टूडेंट क्यों सुसाइड कर रहे हैं? यह जानने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए गए। विशेषज्ञों से राय ली गई। फिर एक गाइडलाइन भी जारी की गई, जिसे कोचिंग संस्थानों को सख्ती के साथ लागू करने के लिए कहा गया, लेकिन इस गाइडलाइन के बाद भी सुसाइड की घटनाएं थमी नहीं। आखिर लाखों खर्च करने के बाद कोटा में पढ़ाई कर रहे बच्चे सुसाइड क्यों कर रहे हैं? आखिर यहां घरों के चिराग क्यों बुझ रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।

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‘एजुकेशन हब’ (Education Hub)  कोटा शहर (Kota City) में हाल ही कोटा के 6000 बच्चों पर किए गए एक सरकारी सर्वे में 83 बच्चे डिप्रेशन का शिकार होने का खुलासा हुआ है। सर्वे के अनुसार इन बच्चों के डिप्रेशन का कारण पढ़ाई है। सर्वे के मुताबिक, कोटा की पढ़ाई में बहुत ज्यादा कम्पटीशन होने से बच्चे पढ़ाई का लोड नहीं उठा पा रहे हैं, जिस कारण छोटी सी उम्र में स्टूडेंट्स में स्ट्रेस लेवल बढ़ता जा रहा है। कोटा के चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर जगदीश सोनी की मानें तो ‘डिप्रेशन की दो-तीन वजह होती हैं। कुछ बच्चे 9वीं से 10वीं तक ही इस फेज में आ जाते हैं। जब वे कम्पटीशन क्लियर नहीं कर पाते तो खुद से सवाल पूछने लगते हैं। मुझे कुछ नहीं आ रहा है? कुछ नहीं आ रहा और ऐसे में वो डिप्रेशन में चले जाते हैं।

बच्चों की आत्महत्या के लिए पैरेंट्स ही जिम्मेदार : SC

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसके लिए बच्चों के माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया था। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कोटा में बच्चों की आत्महत्या के लिए उसके पैरेंट्स ही जिम्मेदार हैं। पैरेंट्स बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं। इसके कारण बच्चे दबाव में आ जाते हैं और खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं?

 

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