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‘विपक्ष पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आएं…’ PM मोदी ने शीतकालीन सत्र से पहले कसा तंज

New Delhi: आज से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने जा रही है। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद परिसर में पत्रकारों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विंटर सेशन को हार की निराशा का मैदान नहीं बनना चाहिए, न ही इसे जीत पर घमंड दिखाने का ज़रिया बनना चाहिए। हमें बैलेंस बनाए रखना चाहिए।

By Abhimanyu 
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New Delhi: आज से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने जा रही है। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद परिसर में पत्रकारों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विंटर सेशन को हार की निराशा का मैदान नहीं बनना चाहिए, न ही इसे जीत पर घमंड दिखाने का ज़रिया बनना चाहिए। हमें बैलेंस बनाए रखना चाहिए।

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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “संसद का ये शीतकालीन सत्र सिर्फ कोई ritual नहीं है। ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा। ऐसा मुझे विश्वास है।” उन्होंने कहा, “भारत ने लोकतंत्र को जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह को समय-समय पर इस तरह प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है।”

शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने कहा, “गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुआ, उसमें मतदान का जो विक्रम हुआ, वो लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। माताओं-बहनों की जो भागीदारी बढ़ रही है, ये अपने आप में एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करती है। एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है। भारत ने सिद्ध कर दिया है कि Democracy can deliver”

विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “ये सत्र, संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए। पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आएं। दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते। मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे। लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है।”

पीएम मोदी ने कहा, “नए चुने गए MP निराश हैं क्योंकि उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र के बारे में बोलने और देश के ज़रूरी मुद्दे उठाने का मौका नहीं मिल रहा है। पहली बार MP बने लोगों को, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, मौका मिलना चाहिए, और हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए। ‘ड्रामा’ करने के लिए कई जगहें हैं; उसके लिए जगह है – लेकिन यहाँ नहीं।”

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