सरकारी स्कूलों में हरियाणा कौशल रोजगार निगम ( HKRN ) के जरिये सेवारत दो हजार पीटीआई ()और कला शिक्षा सहायकों को छह महीने से वेतन नहीं पा रहा है। वेतन न मिलने से हताश शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी (Chief Minister Naib Saini) को पत्र लिखा है।
चंडीगढ़। सरकारी स्कूलों में हरियाणा कौशल रोजगार निगम ( HKRN ) के जरिये सेवारत दो हजार पीटीआई ()और कला शिक्षा सहायकों को छह महीने से वेतन नहीं पा रहा है। वेतन न मिलने से हताश शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी (Chief Minister Naib Saini) को पत्र लिखा है। इस पर एक्शन लेते मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की ओर से शिक्षा विभाग को टीजीटी शारीरिक शिक्षा सहायक और कला शिक्षा सहायकों की बजट डिमांड और अनुबंध बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
सीएमओ (CMO) के निर्देशों के बाद मौलिक शिक्षा महानिदेशक की ओर से सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को एचकेआरएन के माध्यम से लगे पीटीआई और कला अध्यापकों का बजट डिमांड और अनुबंध बढ़वाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
वेतन नहीं मिलने को लेकर मांगा स्पष्टीकरण
इसके साथ ही छह महीने से वेतन नहीं मिलने पर स्पष्टीकरण मांगा है। दो दिन के भीतर जिले का नाम, अध्यापक का नाम, पद और विद्यालय कोड, वेतन न देने का कारण और टिप्पणी सहित प्रोफार्मा भरकर निदेशालय काे भेजना होगा। प्रदेशभर में एचकेआरएन के जरिये 500 कला शिक्षा सहायक और 1500 शारीरिक शिक्षा सहायक (पीटीआई) कार्यरत हैं। इन्हें छह महीने से वेतन नहीं मिला है। इसका कारण है कि टीजीटी हेड में फंड न होना, जबकि पीजीटी हेड में पर्याप्त फंड है।
प्रभावित शिक्षक कई बार जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को इस बारे में अवगत करा चुके हैं। अब मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशानुसार निदेशालय की ओर से डीईईओ को बजट डिमांड और अनुबंध बढ़वाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
292 लेक्चरर की नौकरी को खतरा
उधर, हरियाणा में राजकीय महाविद्यालयों में ड्यूटी कर रहे 292 लेक्चरर्स की नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है। जिन्होंने राजस्थान के फर्जी निजी विश्वविद्यालयों से पीएचडी की डिग्री ली है। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चूरू, सनराइज यूनिवर्सिटी अलवर और सिंघानिया यूनिवर्सिटी झुंझुनू से डिग्री लेने वाले इन एक्सटेंशन लेक्चरर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इसके साथ ही संबंधित कॉलेज के प्राचार्यों को एक्सटेंशन लेक्चरर्स से मिला जवाब आज शाम तक निदेशालय भेजने का निर्देश दिया गया है। हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राजस्थान के उक्त तीनों निजी विश्वविद्यालयों को नियमों की कसौटी पर खरा नहीं उतरने के कारण पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।