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CPCB Report : महाकुंभ में संगम का पानी नहाने योग्य नहीं? सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 73 जगहों के पानी की टेस्टिंग रिपोर्ट NGT में पेश की

महाकुंभ में हर रोज करोड़ों श्रद्धालु पहुंचकर गंगा स्नान कर रहे हैं। अब तक 54 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा में स्नान किया है। इस बीच गंगा-यमुना नदी के पानी को लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट (CPCB Report) सामने आई है। रिपोर्ट पेश कर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सूचित किया कि दोनों नदीं गंगा-यमुना का पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं है।

By टीम पर्दाफाश 
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प्रयागराज। महाकुंभ में हर रोज करोड़ों श्रद्धालु पहुंचकर गंगा स्नान कर रहे हैं। अब तक 54 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा में स्नान किया है। इस बीच गंगा-यमुना नदी के पानी को लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट (CPCB Report) सामने आई है। रिपोर्ट पेश कर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सूचित किया कि दोनों नदीं गंगा-यमुना का पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं है।

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जानिए NGT कोर्ट ने क्यों की टिप्पणी?

बता दें कि महाकुंभ के दौरान गंगा-यमुना के पानी की गुणवत्ता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने रिपोर्ट दाखिल की है। जिसमें बताया गया कि 73 अलग-अलग जगहों से गंगा और यमुना नदी के पानी के सैंपल लिए गए थे। जिनको 6 पैमानों पर जांचा गया है। जांच में पाया गया कि पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से काफी अधिक मिला है।

सामान्य तौर पर एक मिलीलीटर पानी में 100 फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया होते हैं। लेकिन अमृत स्नान से एक दिन पहले यमुना नदी के सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 2300 पाया गया।वहीं संगम के सैंपल में 2000 फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए गए। जो टोटल फीकल कोलीफॉर्म 4500 है।

इतना ही नहीं कई जगहों से लिए गए सैंपल में भी फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया काफी अधिक पाए गए। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि पानी को बिना प्यूरिफिकेशन और डिसइंफेक्ट किए नहाने के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है।

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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने तीन फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है। पीठ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के पूर्व के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया।

NGT ने दिया एक दिन का समय

पीठ ने कहा कि ‘यूपीपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी द्वारा भेजे गए 28 जनवरी के पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी यह पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर पाया गया है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने कहा कि ‘सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकारी को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में डिजिटल तरीके से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।

दरअसल गंगा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए महाकुंभ से पहले ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी कोर्ट में इसकी सफाई पर उचित आदेश जारी करने के लिए एप्लीकेशन दी थी। जिस पर लगातार सुनवाई जारी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यह स्पष्ट आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा-यमुना का पानी नहाने और आचमन योग्य होना चाहिए। जिसके लिए हर बिंदु में निर्धारित किए गए थे। इसके बाद कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई 25 दिसंबर की सुनवाई के बाद आज हुई सुनवाई में कोर्ट में स्पष्ट रूप से रिपोर्ट में हीला हवाली को लेकर गहरी नाजराजगी जताई है।

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अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि आज हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रयागराज में गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर यूपीपीसीबी द्वारा रिपोर्ट दायर करने में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते मेंबर सेकेरेट्री (सदस्य सचिव), यूपीपीसीबी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है। एनजीटी ने यहां तक कह दिया कि यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) वास्तविक स्थिति को छुपाने का प्रयास कर रहा है। वहीं, सीबीसीबी ( केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) कि सराहना करते हुए एनजीटी ने कहा कि सीबीसीबी के चलते सही तथ्य सामने आयी। एनजीटी ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया की गंगा जल में फीकल कालीफार्म ( Fecal Coliform) एवं बीओडी (Bio-Chemical Oxygen Demand) निर्धारित मानक से बहुत ज्यादा है। ऐसे में जल आचमन योग्य तो दूर की बात, नहाने योग्य भी नहीं है।

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