अधिकतर घरों में मंदिर में सुबह शाम दिया जलाया जाता है। दिया जलाने से घर में सुख समृद्धि और मां लक्ष्मी का वास होता है। कई लोग अपने घर में लगी तुलसी में भी दिया जलाते है। दिया जलने के बाद बची हुई बाती को लोग कूड़े में फेंक देते हैं।
अधिकतर घरों में मंदिर में सुबह शाम दिया जलाया जाता है। दिया जलाने से घर में सुख समृद्धि और मां लक्ष्मी का वास होता है। कई लोग अपने घर में लगी तुलसी में भी दिया जलाते है। दिया जलने के बाद बची हुई बाती को लोग कूड़े में फेंक देते हैं। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इस जली हुई बाती का इस्तेमाल करने का तरीका बताया गया है। पहले जानते हैं घर के मंदिर में दिया जलाने का महत्व।
जानिए पूजा के बाद जली हुई बाती का क्या करना चाहिए pic.twitter.com/R6Z5iTGEKq
— लाडो ❤️ (@BaissaRathore1) June 28, 2024
दीपक की रोशनी में भगवान खुद होते हैं और अग्नि पंच तत्वों में से एक है। ऐसे में भगवान की पूजा करते समय दीया जलाने से सारी परेशानियां, दुख, अंधकार दूर हो जाते हैं। भगवान सारे दुख हर लेते हैं और जिंदगी में खुशियां भर जाती हैं। दीपक जलाने से माहौल में सकारात्मकता आती है।
इसी दिए के जलने के बाद बची हुई बाती को भूलकर भी कूड़े में नहीं फेंकना चाहिए। क्योंकि जली हुई बाती में सकारात्मक ऊर्जा होती है। इसलिए इसे कभी भी कूड़े में नहीं फेंकना चाहिए। जली हुई बातियों को किसी बर्तन या डिब्बे में इकट्ठा करें।
ग्यारहवें दिन एक बड़े दिए में कपूर और चार लौंग डालकर सभी बातियों को जला दें। उस दिए का धुआं पूरे घर में घुमाकर छत पर रख दें। अगले दिन उसी जली हुई बाती की राख को एक डिब्बी में रख लें।
जब किसी परीक्षा में जाए या जरुरी काम के लिए जाएं तो इसी राख का टीका लगा कर घर से बाहर निकलें। इसी राख से बच्चे की नजर उतार सकती हैं। इसके लिए थोड़ी सी राख को हाथ में लेकर सात बार उतारकर पेड़ों में डाल दें। अगर राख बहुत अधिक है तो इसे पेड़ों की मिट्टी में मिला दें।