एक रक्षा मंत्री के रूप में, मुझे यह कहते हुए बेहद खुशी होती है, कि भारत के लगातार आगे बढ़ती यात्रा में, पहली बार, देश का defence sector भी अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पिछले एक दशक में सरकार के द्वारा लिए गए कई initiatives के चलते, भारत का रक्षा क्षेत्र एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। 10-11 साल पहले, जहां हमारा defence production 43,746 करोड़ रुपए था, वहीं, आज यह 1,46,000 करोड़ रुपए के record आंकड़े को पार कर चुका है। और गर्व की बात यह है, कि इसमें 32,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान private sector का रहा है।
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन-2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि, मुझे याद है, कि पिछली बार जब मैं आप सभी के बीच आया था, तब हमारी economy दुनिया में पांचवे नंबर पर थी। आज जब मैं आपके बीच आया हूं, तो मैं आप सभी को, हमारी economy के चौथे नंबर की economy बनने की बधाई दे रहा हूं। CII सिर्फ एक संगठन नहीं है, यह वो power-house है, जिसने भारत की industrial spirit को आकार दिया है। देशभर में लाखों enterprises को जोड़ने, policy framework को दिशा देने, और global competitiveness बढ़ाने में, CII की भूमिका बहुत important रही है।
उन्होंने आगे कहा, मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व हो रहा है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारा देश, आज दुनिया की 4th largest economy बन चुका है। यह केवल, कोई economy की size बढ़ने भर की बात नहीं है, यह दुनिया का भारत पर, और भारत का अपने ऊपर लगातार बढ़ते भरोसे की बात है। आज हम उन चुनिंदा देशों में हैं, जिनकी economic resilience और policy stability पर global confidence यानि वैश्विक विश्वास लगातार बढ़ रहा है। यानी यह भारत की केवल विकास यात्रा नहीं है, यह भारत की विश्वास यात्रा है।
रक्षामंत्री ने आगे कहा, एक रक्षा मंत्री के रूप में, मुझे यह कहते हुए बेहद खुशी होती है, कि भारत के लगातार आगे बढ़ती यात्रा में, पहली बार, देश का defence sector भी अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पिछले एक दशक में सरकार के द्वारा लिए गए कई initiatives के चलते, भारत का रक्षा क्षेत्र एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। 10-11 साल पहले, जहां हमारा defence production 43,746 करोड़ रुपए था, वहीं, आज यह 1,46,000 करोड़ रुपए के record आंकड़े को पार कर चुका है। और गर्व की बात यह है, कि इसमें 32,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान private sector का रहा है।
इसके साथ, हमारा Defence export, जो दस साल पहले, हज़ार करोड़ रूपए से भी कम था, वह आज 23,500 करोड़ रुपए के record आंकड़े तक पहुंच गया है। आज सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि हमारे systems, sub-systems, components और services भी दुनिया के 100 से ज्यादा देशों तक पहुंच रहे हैं। आज देश में 16,000 से अधिक MSMEs Defence sector से जुड़ी हैं। ये छोटी कंपनियां हमारी supply chain की backbone बन चुकी हैं। ये न केवल आत्मनिर्भरता की हमारी journey को मजबूत कर रही हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।
उन्होंने आगे कहा, आज हम सिर्फ़ लड़ाकू विमान या मिसाइल सिस्टम नहीं बना रहे हैं, बल्कि हम New Age Warfare Technology के लिए भी तैयार हो रहे हैं। हमारे home grown systems ने आज, Operation Sindoor के दौरान, पूरी दुनिया को चौंकाते हुए यह साबित किया है, कि हम दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की ताकत रखते हैं। आपने देखा कि किस तरह, हमने पहले आतंकी ठिकानों को, और उसके बाद दुश्मन के सैन्य अड्डों, Airbases को तबाह किया। करने को हम और भी बहुत कुछ कर सकते थे, परंतु शक्ति और संयम, इन दोनों के समन्वय का, हमने दुनिया के सामने एक शानदार उदाहरण पेश किया। आत्मनिर्भरता के बैनर के तले हम आज Critical और frontier technologies पर भी, लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं। Artificial Intelligence, Cyber Defence, Unmanned Systems, और Space-Based Security के क्षेत्र में भारत की पकड़ अब global stage पर मजबूती से स्थापित हो रही है।
रक्षामंत्री ने आगे कहा कि, आपको जानकर ख़ुशी होगी कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभी दो दिन पहले ही AMCA प्रोजेक्ट को जो 5th जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट भारत में ही बनाने का प्रोजेक्ट है, उसको आगे बढ़ाने के execution model को मंज़ूरी दे दी है। यह एक बहुत ही bold और decisive decision लिया गया है, जो भारत की defence capabilities को मज़बूती प्रदान करने के साथ-साथ इस देश में एयरोस्पेस सेक्टर को एक depth और नई height प्रदान करेगा। ऑपरेशन सिंदूर में, पूरे देश की जनता ने मेक इन इंडिया अभियान की सफलता को देखा समझा और महसूस किया है। आज यह साबित हो चुका है कि मेक इन इंडिया भारत की security और prosperity दोनों के लिए ज़रूरी है।
इसके साथ ही कहा, आतंकवाद का कारोबार चलाना cost effective नहीं है, बल्कि उसकी एक भारी क़ीमत अदा करनी पड़ सकती है, इसका अंदाज़ा आज पाकिस्तान को हो चुका है। हमने आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की strategy और response दोनों को Redesign और Redefine किया है। हमने पाकिस्तान के साथ अपने engagement और scope of dialogue को recalibrate किया है। अब जब भी बात होगी तो केवल आतंकवाद पर होगी, PoK पर होगी।