सुल्तानपुर में हुए अधिशासी अभियंता संतोष कुमार (Executive Engineer Santosh Kumar) की हत्या ने कई सवालों को जन्म दे दिया। हत्यारोपी सहायक अभियंता अमित कुमार (Murder Accused Assistant Engineer Amit Kumar) और उसके साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस हत्याकांड के बाद मृतक के भाई समेत कई अन्य लोगों ने हत्याकांड के पीछे जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) ग्रामीण में हो रहे भ्रष्टाचार की बात कही।
लखनऊ। सुल्तानपुर में हुए अधिशासी अभियंता संतोष कुमार (Executive Engineer Santosh Kumar) की हत्या ने कई सवालों को जन्म दे दिया। हत्यारोपी सहायक अभियंता अमित कुमार (Murder Accused Assistant Engineer Amit Kumar) और उसके साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस हत्याकांड के बाद मृतक के भाई समेत कई अन्य लोगों ने हत्याकांड के पीछे जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) ग्रामीण में हो रहे भ्रष्टाचार की बात कही। वारदात के बाद अब धीरे धीरे इस हत्याकांड को लेकर कई बातें सामने आ रहीं हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि, करीब चार सौ करोड़ से ज्यादा रुपयों को लेकर ये वारदात की गयी है।
दरअसल, हत्यारोपी सहायक अभियंता अमित की भ्रष्टाचार समेत अन्य मामलों को लेकर लगातार शिकायतें आ रहीं थीं, जिसको लेकर अधिशासी अभियंता संतोष कुमार (Executive Engineer Santosh Kumar) ने जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) ग्रामीण के उच्च अफसरों से इसकी शिकायत भी की थी। इसके साथ ही इसे हटाने को लेकर पत्र लिखा था। इसके बाद सहायक अभियंता ने अपने साथी के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया। अब दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें सामने आया कि हत्या के पीछे 500 करोड़ से ज्यादा रुपयों को हड़पने के लिए ये वारदात की गयी।
पुलिस की यह थ्यौरी किसी के गले से नीचे नहीं उतर रही है। क्या असिस्टेंट इंजीनियर (AE) ने सिर्फ कार्रवाई की डर से अफसर की जान ले ली? या फिर मामला जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) में भ्रष्टाचार से जुड़ा था? बतातें चलें कि यूपी के सुल्तानपुर जिले में 14 ब्लॉक में जल जीवन मिशन के तहत 100 करोड़ से अधिक के काम हो रहे हैं। सुल्तानपुर जिले में 3 बड़ी कंपनियां गायत्री प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (Gayatri Projects Limited) , यूनिवर्सल एमईपी (Universal MEP) और विंध्य गाजा (जेवी) (Vindhya Gaja (JV) कार्य कर रही हैं। तीन हिस्सों में काम हो रहा है।
बड़ी कंपनियों ने ग्राउंड पर काम करने के लिए पेटी कॉन्ट्रैक्टर्स को काम दिया है। पेटी कॉन्ट्रैक्टर्स स्थानीय ही हैं। पहले स्तर पर जिस पेटी कॉन्ट्रैक्टर्स को काम दिया गया, उसने काम लेकर अपने नीचे एक और पेटी कॉन्ट्रैक्टर्स को दे दिया है। जबकि पेटी कॉन्ट्रैक्टर को काम देना नियम के खिलाफ है, लेकिन फिर भी कंपनियां ऐसा कर रही हैं।
इसी का फायदा उठाते हुए AE अमित कुमार ने अपनी पावर का इस्तेमाल करके अपने साथी प्रदीप कुमार की फर्म को ठेका दिलाया। शुरू में AE अमित कुमार की देखरेख में 5 ब्लॉकों में करीब 500 करोड़ रुपए का काम था। इनमें से कई जगह अमित का साथी प्रदीप काम कर रहा था। गुणवत्तापरक और काम न पूरा करने की शिकायतें मिलने पर अधिशासी अभियंता संतोष कुमार (Executive Engineer Santosh Kumar) ने अमित कुमार से जल जीवन मिशन के दो ब्लॉक का काम छीन लिया था।
पहचान न उजागर होने की शर्त पर विभाग के एक अफसर ने बताया कि नए काम का बंटवारा 4 जून को ही हुआ। AE अमित कुमार के पास मोतिगरपुर ब्लॉक, दोस्तपुर ब्लॉक और करौंदीकला ब्लॉक का ही काम रह गया। एक्सईएन संतोष कुमार (ExEn Santosh Kumar) के भाई संजय ने बताया कि विभाग के लोगों से पता चला कि भाई ने तमाम शिकायतों के कारण AE अमित कुमार से जल जीवन मिशन के दो ब्लॉक का काम छीन लिया था। इन दो ब्लॉकों में करीब 200 करोड़ का काम था। इसी वजह से अमित नाराज चल रहा था। वह कई बार भइया को दोनों ब्लॉक वापस देने को बोल चुका था। उसके खिलाफ कई शिकायतें थीं, लेकिन सुधार करने की बजाय वह दबंगई से काम वापस चाह रहा था। उसकी बात भाई ने नहीं मानी, तो उन्हें मार डाला।
FIR में 250 पन्नों की रिपोर्ट के बारे में संजय ने कही ये बात
एक्सईएन संतोष कुमार के भाई संजय से FIR में 250 पन्नों की रिपोर्ट के बारे मे कहा कि वह जल्दबाजी में हमने लिखवा दिया था। क्योंकि, भइया जब घर पर बात करते थे तो अपनी परेशानी बताया करते थे। उसी आधार पर हमने लिखवाया था। अब पुलिस ने उसे पकड़ लिया है, तो हम चाहते हैं कि मजबूत चार्जशीट बन जाए। उसे फांसी की सजा हो जाए।
आउटसोर्स से भर्ती AE अमित कुमार की काम खत्म होते ही चली जाती नौकरी
बतातें चलें कि जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का काम सुल्तानपुर में पूरा होने की अंतिम तारीख 31 सितंबर, 2024 थी। काम अधूरा होने की वजह से इसे 31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया। जब जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का काम खत्म होगा, तो आउटसोर्सिंग वालों का काम भी खत्म हो जाएगा। AE अमित कुमार भी 2020 में आउटसोर्स से भर्ती हुआ था। उसे 50 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। उसकी नौकरी भी इस प्रोजेक्ट के साथ खत्म होने वाली थी। इसलिए वह जल्दी-जल्दी पैसे कमाना चाहता था। वह करप्शन में लग गया था। इसकी शिकायत संतोष कुमार तक पहुंचती थी।
अमित के एक साथी इंजीनियर ने पहचान न उजागर करनी की शर्त बताया कि 3 महीने पहले अमित कुमार मेजरमेंट बुक पर अपने मन-मुताबिक एक्सईएन संतोष कुमार के साइन चाहता था, लेकिन, उन्होंने साफ मना कर दिया था। उन्हें अमित के बारे में लगातार गांव से शिकायत मिल रही थी। इस पर एक्सईएन संतोष कुमार ने जब अमित से सवाल करने लगे तो उसको यह डर सताने लगा कि कहीं उसका भुगतान न रोक दें? इससे उसका पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाएगा। इन सब विवादों के बीच जब उससे दो ब्लॉक और छीन लिए गए तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। इसके बाद उसने अपने साथी प्रदीप के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी।
अमित का साथी प्रदीप है ठेकेदार
जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के अधिकारियों ने बताया कि दोनों बिहार के रहने वाले हैं। सोनभद्र में जब अमित की पोस्टिंग थी, तभी से प्रदीप उसके साथ था। प्रदीप वहां हाइड्रो टेस्टिंग किया करता था। जब अमित का ट्रांसफर सुल्तानपुर हुआ, तो प्रदीप को वह साथ ले आया। यहां पहले 7 ब्लॉक में जल जीवन मिशन का काम शुरू हुआ। ऐसे में दोनों ने मिलकर एक फर्म बना ली। अमित इसमें साइलेंट पार्टनर बन गया। AE अमित कुमार ने रसूख का इस्तेमाल कर मुख्य कंपनियों से पेटी कॉन्ट्रैक्टर का काम प्रदीप की फर्म को दिलवा दिया। काम करने पर रनिंग पेमेंट मिलता था, वह दोनों में बंटने लगा। इस बात की जानकारी एक्सईएन संतोष कुमार को भी हो चुकी थी। सोनभद्र में भी इंजीनियर ने अमित कुमार की शिकायत की थी।
अमित कुमार के करप्शन की जांच कर रहे थे एक्सईएन
पुलिस ने भले ही अमित कुमार को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कई बातें छन छन कर सामने आ रही हैं। इस मामले की जांच कर रहे CO सिटी शिवम मिश्रा बताते हैं कि शुरुआती पूछताछ में सामने आ रहा है कि संतोष कुमार अमित के करप्शन की जांच कर रहे थे। इससे अमित नाराज था। अभी मामले की विवेचना चल रही है। इसके पूरी होने के बाद नई जानकारी सामने आने की उम्मीद है।
अमित कुमार के सुपरविजन वाले 3 ब्लॉक में जल जीवन मिशन का काम आधा-अधूरा है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 100% बता दिया गया।
सुल्तानपुर से करीब 30 किमी दूर मैनेपारा गांव है। वहां जल जीवन मिशन से लगे पाइप में टोटी लगी थी। पड़ताल में पता चला कि टोटी सिर्फ देखने के लिए बनी है। गांव में पाइप लाइन तो बिछा दी गई, टोटी भी लगी है, लेकिन पानी की टंकी नहीं बनी। ऑपरेटर सुबह आता है, 10 मिनट से आधा घंटा बोरिंग चलाता है। उसका फोटो-वीडियो बनाकर चला जाता है।
कई गांव में पाइप लगाने के नाम पर जगह-जगह सड़कें खोद दी गई हैं, लेकिन दोबारा नहीं बनवाया गया। हम लोगों की कोई सुनवाई भी नहीं होती। हम लोग जान भी नहीं पाते कि कौन काम कर रहा? पूरे गांव में दो-चार टोटियां लगा दी गई हैं। हर घर नल तो छोड़िए, पाइप भी नहीं पहुंचा। यहां बोरिंग रूम बन गया है। सोलर सिस्टम लग गया है, लेकिन पानी की टंकी नहीं बनी। मुझे लग रहा है कि पूरा काम होने में दो-तीन साल लगेंगे। पिछले 6 महीने से काम ही नहीं हो रहा है। अधिकारियों ने बताया था कि इसी मार्च तक हर घर नल पहुंच जाएगा, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं हुआ।
जबकि सरकारी वेबसाइट के मुताबिक राघवपुर गांव में 99% घरों में टोटी लग गई है? पानी की सप्लाई शुरू हो गई है? ग्राम प्रधान विजय प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि अभी तो 10% काम भी नहीं हुआ। आधे-अधूरे काम के लिए कंपनी के ठेकेदार NOC देने का दबाव बनाते हैं, लेकिन हमने NOC नहीं दी है।
भदिला गांव 25 फीसदी घरों में ही टोटी ,अधिकारी NOC के लिए बनाते हैं दबाव
सरकारी वेबसाइट के मुताबिक, भदिला गांव में 100% काम हो गया है। यानी हर घर नल पहुंच गया है। जब हम मौके पर पहुंचे तो पता चला कि अभी पूरा काम नहीं हुआ है। गांव के प्रधान सुरेंद्र पटेल बताते हैं कि कैंपस की बाउंड्रीवॉल मानसून की पहली बारिश में ही ढह गई। पानी की टंकी अभी भी आधी-अधूरी है। जनरेटर रख दिया गया है। बोरिंग और ऑपरेटर रूम बन गया है, लेकिन अभी भी हर घर में नल नहीं लगा। सरकारी वेबसाइट पर जो काम दिख रहा, वह गलत दिखाया जा रहा। केवल 25% घरों में ही टोटी लगी है।
सुरेंद्र पटेल कहा कि जब इस योजना की जांच होगी तो जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) भारत का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा। अधिकारी हमारे ऊपर NOC का दबाव बनाते हैं। हमने तो कई बार एक्सईएन साहब से काम खराब होने की शिकायत की तो वह मौके पर आए। अधिकारियों को फटकार भी लगाई, लेकिन करप्शन कम नहीं हुआ।
सुल्तानपुर से करीब 15 किमी दूर हम भदैया ब्लॉक के अभियाकला गांव पहुंचे। बताया जाता है कि यह ब्लॉक पहले अमित कुमार के सुपरविजन में था, लेकिन काम न होने से यह ब्लॉक उससे छीन लिया गया। विंध्य गाजा कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर मनीष के अनुसार हम जिस गांव में हर घर में नल पहुंचा देते हैं। बोरिंग के जरिए जब पानी आने लगता है, तो हम उसे 100% मानते हैं। रही बात पेटी कॉन्ट्रैक्टर की तो इतने बड़े काम को कोई अकेला नहीं कर सकता। यही वजह है कि लोकल लेवल पर हमें पेटी कॉन्ट्रैक्टर से काम कराना होता है।