उज्जैन जिले (Ujjain District) से किसानों की दुर्दशा को लेकर बेहद दर्दनाक तस्वीर सामने आई है। पहले बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। जिससे किसानों की तैयार प्याज की फसल खेतों में सड़ गई। जब किसान उसे मंडी तक लाए तो दाम इतने गिरे हुए थे कि लागत भी नहीं निकल पा रही है। हालात इतने खराब हो गए कि किसानों को अपनी फसल मुफ्त में बांटनी पड़ी रही है।
उज्जैन। उज्जैन जिले (Ujjain District) से किसानों की दुर्दशा को लेकर बेहद दर्दनाक तस्वीर सामने आई है। पहले बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। जिससे किसानों की तैयार प्याज की फसल खेतों में सड़ गई। जब किसान उसे मंडी तक लाए तो दाम इतने गिरे हुए थे कि लागत भी नहीं निकल पा रही है। हालात इतने खराब हो गए कि किसानों को अपनी फसल मुफ्त में बांटनी पड़ी रही है। उज्जैन की कृषि मंडी (Ujjain Krishi Mandi) में सोमवार को किसानों ने बेहद अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। जो प्याज कभी सोने जैसी कीमती मानी जाती थी, वही प्याज आज किसान मुफ्त में बांट रहे हैं। वजह है बेमौसम बारिश और थोक बाजार में आई भारी गिरावट। खेतों में पानी भर जाने से प्याज सड़ गई और जो बची भी, वो मंडियों में 2 से 3 रुपये किलो के भाव पर बिक रही है।
इससे गुस्साए किसानों ने अनोखा प्रदर्शन करते हुए करीब 50 क्विंटल प्याज निशुल्क बांट दिया। साथ ही सरकार को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने समर्थन मूल्य पर प्याज की खरीदी शुरू नहीं की तो किसानों को आत्मघाती कदम उठाने पड़ सकते हैं। उज्जैन में मंडियों में प्याज 2-3 रुपये किलो बिक रही है। लागत 10-12 रुपये प्रति किलो है।किसान को एक बीघा खेती में 55000 के आसपास लागत आती है।किसानों ने सरकार से 24 रुपये समर्थन मूल्य की मांग की।
सड़क किनारे मुफ्त में बांट रहे प्याज
संयुक्त कृषक संगठन के जिला अध्यक्ष संदीप पाटीदार (Sandeep Patidar, District President of Joint Farmers Organization) ने बताया कि मंडी में 1 से 2 रुपए प्रति किलो के दाम पर प्याज की खरीदी की जा रही है, जबकि इसकी पैदावार की लागत लगभग 12 से 15 रुपए प्रति किलो है, लेकिन मंडी में मिलने वाले दाम इतने कम हैं कि किसान अब नुकसान के डर से प्याज को या तो जानवरों को खिला रहे हैं, या सड़क किनारे मुफ्त में बांट रहे हैं। प्याज के उचित दाम न मिलने पर मजबूर होकर किसानों को अपनी फसल निशुल्क बांटना पड़ रही है। उन्होंने बताया कि संयुक्त कृषक संगठन (Joint Farmers Organization) प्रदेश स्तर का संगठन है। अभी उज्जैन में यह प्रदर्शन किया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में पूरे जिले भर में ऐसे प्रदर्शन किए जाएंगे। सरकार को किसानों की मजबूरी समझनी चाहिए और जल्द से जल्द प्याज की खरीदी समर्थन मूल्य पर शुरू करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो हम पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन करेंगे।
किसानों को दोहरी मार
मंडी में प्याज लेकर पहुंचे किसान अपनी फसल को कम दाम पर ही बेचने को मजबूर हैं। फसल नहीं बिकने पर किसान प्याज मंडी में ही छोड़कर जा रहे हैं। मौसम खराब होने से किसानों को कृषि मंडी में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बारिश के कारण खुले में पड़ा प्याज खराब हो रहा है। करीब एक हफ्ते से जारी बारिश के दौर की वजह से प्याज उत्पादक किसानों की लागत भी बढ़ गई है और दाम भी गिर गए हैं।
मंडी में छोड़कर चले गए प्याज
कृषि उपज मंडी (Agricultural Produce Market) में प्याज की फसल लेकर पहुंचे किसान कैलाश पाटीदार (Kailash Patidar) का कहना है कि वे 70 किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा लगाकर मंडी में फसल बेचने आए थे। आज की नीलामी में उनकी फसल 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल ही बिकी है, जिससे स्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि किसान कैलाश को फसल बेचने के बाद घर जाने का भाड़ा भी नहीं बचा है। किसान का कहना है कि अगर प्याज इसी दाम में बिकता रहा तो इस फसल के लिए लिया गया कर्ज कैसे चुकाया जाएगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, वरना किसानों के लिए यह फसल जानलेवा साबित हो सकती है।