भगवान की पूजा-आराधना और उनके प्रति श्रद्धा-भाव सनातन धर्मावलंबियों के जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है।हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन रखा जाता है।
लखनऊ : भगवान की पूजा-आराधना और उनके प्रति श्रद्धा-भाव सनातन धर्मावलंबियों के जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है।हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन रखा जाता है। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिनें पति की दीर्घायु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सुहागिनें बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं। इस साल वट सावित्री का व्रत 10 जून 2021 को मनाया जाएगा। इसके अलावा इस दिन साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। साथ ही इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करके ही सावित्री अपने पति सत्यवान को अजर और और अमर बना दिया था। तभी से पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत इस व्रत का विधान प्रचलित हो गया।
पूजन सामग्री
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-दीप, घी, फल-फूल, रोली, सुहाग का सामान, पूडियां, बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल है।
पूजा विधि
वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें। बांस की टोकरी में उपरोक्त पूजन सामग्री को लेकर वट वृक्ष नीचे जाएं। वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखें। अब मूर्ति और वृक्ष पर जल चढ़ाकर सभी पूजन सामग्री अर्पित करें। अब कच्चे सूत के धागे या लाल कलावा से वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करते हुए सात बार लपेटें। इसके बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें। शाम को घर पर पूजा करके प्रसाद बांटें। अगले दिन व्रत को तोड़ते हुए शुभ मुहूर्त में पारण करें।