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चंबल के बीहड़ में दहाड़ने वाली पूर्व दस्यु सुंदरी अब संवारना चाहती है गांव की सूरत

यूपी में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेजी से जारी है। इसी बीच इटावा जिले में एक ऐसी महिला प्रधानी का चुनाव लड़ने जा रही है जो एक नहीं, दो नहीं बल्कि चौदह साल तक जेल की सजा काट चुकी है। इस महिला ने चंबल के बीहड़ की रोटियां खाईं, अच्छे अच्छे के हलक से पानी सुखवा दिया। अब वही महिला अपने अतीत को भुलाकर गांव वालों के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

इटावा। यूपी में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेजी से जारी है। इसी बीच इटावा जिले में एक ऐसी महिला प्रधानी का चुनाव लड़ने जा रही है जो एक नहीं, दो नहीं बल्कि चौदह साल तक जेल की सजा काट चुकी है। इस महिला ने चंबल के बीहड़ की रोटियां खाईं, अच्छे अच्छे के हलक से पानी सुखवा दिया। अब वही महिला अपने अतीत को भुलाकर गांव वालों के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हुआ है। इस महिला का नाम सुरेखा है।

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इटावा जनपद में स्थित चम्बल के डकैत क्षेत्र में आतंक मचाने वाला खूंखार डकैत सलीम गुर्जर, पूर्व दस्यु सुन्दरी सुरेखा को 13 साल की छोटी सी उम्र में ही मार्च 1999 में उठा ले गया था। बीहड़ में ले जाकर शादी कर ली थी, जिससे उसका एक बच्चा भी हुआ। सुरेखा ने बताया कि बागी जीवन मे उसने कभी किसी निर्दोष पर अत्याचार नही किया था, साल 2004 में उसके गर्भ मे डकैत सलीम गुर्जर का बेटा था। उसी दौरान पुलिस से हुई मुठभेड़ में वो जंगल से भाग नही सकी और पुलिस के हत्थे चढ़ गई।

इसके बाद पुलिस अभिरक्षा में ही बेटे सूरज को मध्य प्रदेश के भिंड जिले की जेल में जन्म दिया। 5 साल के बागी जीवन में सुरेखा पर जालौन के उरई में 11 मुकदमे दर्ज थे। भिंड में 3 व इटावा जनपद में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे होने की वजह से उसे 14 साल जेल में बिताने पड़े। इसके बाद अदालत ने उसे सभी मुकदमों से बरी कर दिया है। जेल से छूटने के बाद सुरेखा लगभग 20 साल बाद वापस अपने घर पहुंची। उसका गांव बदनपुरा थाना सहसों के अंतर्गत आता है।

यहीं वह अपने भैया-भाभी के साथ अपने बेटे को लेकर रह रही है। गुर्जर बाहुल्य गांव में सुरेखा का ही परिवार ऐसा है जो धोबी जाति का है। इसके बावजूद उसके गांव वाले सुरेखा को बड़ा मान सम्मान देते हैं। इसी मान सम्मान के बदले पूर्व दस्यु सुंदरी गांव वालों के लिए एवं अपने बेटे के लिए कुछ करने की चाहत लेकर प्रधान पद से चुनाव लड़ना चाहती है। गांव वाले भी पूरी तरह से सुरेखा के साथ खड़े दिख रहे हैं।

 

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