योगी सरकार (Yogi Government) नजूल की जमीन को भूमाफिया (Land Mafia) से बचाने के लिए हर तरह की कवायद कर रही है। इसके तहत नजूल की जमीन (Nazul Land) का इस्तेमाल शहरों की सूरत संवारने के लिए किया जाएगा। इसी के तहत प्रदूषण से जूझते कानपुर को खुली हवा में सांस देने के लिए शासन एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
लखनऊ। योगी सरकार (Yogi Government) नजूल की जमीन को भूमाफिया (Land Mafia) से बचाने के लिए हर तरह की कवायद कर रही है। इसके तहत नजूल की जमीन (Nazul Land) का इस्तेमाल शहरों की सूरत संवारने के लिए किया जाएगा। इसी के तहत प्रदूषण से जूझते कानपुर को खुली हवा में सांस देने के लिए शासन एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है। नजूल जमीन (Nazul Land) पर बनी मिलों की जमीन पर सिटी फारेस्ट सहित जरूरतमंदों और गरीबों के लिए आवास बनाने की तैयारी है। 80 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित कीमत वाली इन जमीनों के लिए औद्योगिक और वित्तीय पुर्ननिर्माण बोर्ड (BIFR) सहित कई अन्य मोर्चे पर शासन अपनी पैरवी कर रहा है।
कानपुर में सिविल लाइंस व वीआईपी रोड का अधिकांश हिस्सा है नजूल की जमीन पर
कानपुर में सिविल लाइंस व वीआईपी रोड का अधिकांश हिस्सा नजूल की जमीन (Nazul Land) पर है। बेहद पॉश और महंगे इलाकों में स्थित बंद मिलें नजूल की जमीन पर हैं। खंडहर पड़ी इन मिलों के परिसर में बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं। कई बाजार नजूल की जमीन (Nazul Land) पर काबिज हैं। ब्रिटिश राज में कानपुर में स्थापित मिलें बदलते परिवेश में बंद हो चुकी हैं। इन मिलों के मामले औद्योगिक और वित्तीय पुर्ननिर्माण बोर्ड (BIFR ) में विचाराधीन हैं।
अवैध रूप से काबिज या पट्टा करा चुके लोगों की सूची बन रही है, इनमें हैं कई सफेदपोश
इन्हीं मिलों की तमाम जमीनें नीलामी में लगा दी गईं। इस पर आवास विभाग (Housing Department) ने आपत्ति की और कहा कि ये जमीनें मिल चलाने के लिए दी गई थीं। अब मिलें बंद हो चुकी हैं और ये सरकारी जमीन (Government Land) है। जिस उद्देश्य के लिए जमीन दी गई थी, वो समाप्त हो चुका है इसलिए वापस चाहिए। इसी की लड़ाई चल रही है। इन जमीनों की कीमत करीब 80 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। अवैध रूप से काबिज या पट्टा करा चुके लोगों की सूची बन रही है। इनमें कई सफेदपोश हैं।
कानपुर में पार्किंग की समस्या विकराल , मिलों में अंडरग्राउंड या बहुमंजिला पार्किंग बनाने की तैयारी
इन मिलों की जमीन वापस लेकर कानपुर के लोगों को प्रदूषण से राहत देने का प्रस्ताव है। इन मिलों में रहने वाले गरीब व जरूरतमंद लोगों को उतना हिस्सा उन्हें दे दिया जाएगा। कानपुर में पार्किंग की समस्या विकराल है। इन मिलों में अंडरग्राउंड या बहुमंजिला पार्किंग बनाने की तैयारी है। जरूरतमंदों के लिए आवास व अन्य कल्याणकारी योजनाओं का प्रस्ताव है। शेष भूखंड पर सिटी फॉरेस्ट विकसित किए जाएंगे। शहर के बीच में विकसित होने वाले ये जंगल एक तरफ पर्यटन का केंद्र बनेंगे तो दूसरी तरफ दुनिया के शीर्ष दस प्रदूषित शहरों में शुमार कानपुर की हवा को सांस लेने लायक बनाने में सहायक होंगे।
80 हजार करोड़ की इन जमीनों का रिकार्ड ही गायब
प्रदेश सरकार (UP Government) ये सारी कवायद इसलिए कर रही है कि भूमाफियाओं (Land Mafia) से नजूल की जमीन (Nazul Land) को आजाद रखा जा सके। इसमें खेल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 80 हजार करोड़ की इन जमीनों का रिकार्ड ही गायब है। महज तीन दर्जन रिकार्ड ही मिले हैं जबकि नजूल जमीन (Nazul Land) की अनुमानित संख्या इससे कई गुना ज्यादा है।
हाईकोर्ट के मुताबिक ये पालिसी विकृत होकर जरूरतमंदों की जगह भूमाफियाओं के हित की बन गई
इसे देखते हुए कानपुर में फ्री होल्ड (Free Hold) से जुड़े आवेदनों को रोक दिया गया है। वास्तव में फ्री होल्ड (Free Hold) का कोई प्रावधान ही नहीं है। आवास विभाग (Housing Department) कहता है कि पूर्व में दिए गए अदालती आदेशों के मुताबिक पालिसी से किसी जमीन को फ्री होल्ड नहीं कराया जा सकता। 1992 में लाई गई पालिसी से फ्री होल्ड का खेल (Game of Free Hold) शुरू हुआ। 1992 से पहले फ्री होल्ड (Free Hold) का कोई प्रावधान ही नहीं था। 1992 में लाई गई पालिसी पर हाईकोर्ट ने कहा है कि मूल पालिसी में किसी जमीन को फ्री होल्ड (Free Hold) कराने का प्रावधान नहीं है। बाद में तमाम संशोधन होते गए और पालिसी का रूप ही विकृत हो गया। हाईकोर्ट के मुताबिक ये पालिसी विकृत होकर जरूरतमंदों की जगह भूमाफियाओं (Land Mafias) के हित की बन गई।