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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, सभी मुकदमों की एक साथ होगी सुनवाई

ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक अदालत में किए जाने से संबंधित मांग पर मंगलवार को कोर्ट ने फैसला दे दिया है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सभी मामले एक साथ सुनने का आदेश दिया है। यानी की अब सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक अदालत में होगी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

वाराणसी। ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक अदालत में किए जाने से संबंधित मांग पर मंगलवार को कोर्ट ने फैसला दे दिया है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सभी मामले एक साथ सुनने का आदेश दिया है। यानी की अब सात मामलों की सुनवाई एक साथ, एक अदालत में होगी।

पढ़ें :- Gyanvapi Case : व्यास तहखाने में जारी रहेगी पूजा , हाईकोर्ट ने खारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका

बता दें कि ज्ञानवापी मामले में जिन केसों को क्लब किया है उनमें ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग मिलने, उसकी वैज्ञानिक जांच और परिसर का सर्वेक्षण, श्री विश्वनाथ जी को अपने अतिशय क्षेत्र पर अधिकार, माता श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार आदि प्रकरण से जुड़े सभी सात केस की सुनवाई अब एक साथ होगी।  वाराणसी जिला अदालत ने मंगलवार को इस संबंध में फैसला सुनाया।  इसे लेकर हिंदू पक्ष ने याचिका दाखिल की ​थी। इसके बाद जिला अदालत ने सभी सात केस एक साथ क्लब करने का आदेश दिया।

अपील में कही गई थी ये बात

बता दें कि, इस मामले की सुनवाई सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई। वादिनी महिलाओं के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी के मुताबिक, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मां शृंगार गौरी प्रकरण की चार महिला वादिनियों सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की ओर से जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था। अदालत से अनुरोध किया गया था कि ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े एक ही प्रकृति के सात अलग-अलग मुकदमों की सुनवाई जिला जज की अदालत में की जाए। इसके बाद जिला जज की अदालत ने आदेश पारित किया और अलग-अलग मुकदमों से संबंधित फाइलें तलब कीं। मामले में सभी पक्षों के बयान पहले ही दर्ज हो चुके थे।

मुस्लिम पक्षकारों ने एक साथ सुनवाई की दलीलों का किया पुरजोर विरोध
उधर दूसरे पक्षकार यानी मस्जिद के दावेदारों ने इस निर्णय से असहमति जताते हुए इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। हालांकि सुनवाई के दौरान भी मुस्लिम पक्षकारों ने एक साथ सुनवाई की दलीलों का पुरजोर विरोध किया था।

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