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Harish Salve करेंगे CAS में Vinesh Phogat की पैरवी, सिल्वर मेडल मिलने की उम्मीदें अभी भी जिंदा!

Harish Salve: पेरिस ओलंपिक 2024 में 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को अयोग्य करार दे दिया गया था। जिसके बाद पूरे भारत की नजरें खेल पंचाट न्यायालय (CAS) की सुनवाई पर टिकी हुई हैं। वहीं, इस मामले में अनुरोध के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Harish Salve) सीएएस में विनेश की पैरवी के लिए तैयार हुए हैं। स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे) इस मामले पर सुनवाई होनी है।

By Abhimanyu 
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Harish Salve: पेरिस ओलंपिक 2024 में 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) को अयोग्य करार दे दिया गया था। जिसके बाद पूरे भारत की नजरें खेल पंचाट न्यायालय (CAS) की सुनवाई पर टिकी हुई हैं। वहीं, इस मामले में अनुरोध के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Harish Salve) सीएएस में विनेश की पैरवी के लिए तैयार हुए हैं। स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे) इस मामले पर सुनवाई होनी है।

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दरअसल, अयोग्य ठहराए जाने के बाद विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने बुधवार को सीएएस (CAS) में ओलंपिक फाइनल से खुद को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील की और मांग की कि उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए। ओलंपिक खेलों या उद्घाटन समारोह से पहले 10 दिनों की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के समाधान के लिए यहां खेल पंचाट का तदर्थ विभाग (Court of Arbitration for Sports- CAS) स्थापित किया गया है।

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने सीएएस के समक्ष विनेश की अपील के लिए वकील नियुक्त करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया है। विनेश ने दो मामलों में अपनी अयोग्यता के खिलाफ अपील की थी। पहला यह था कि उसे फिर से वजन करने दिया जाए, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। दूसरी अपील में उसे सिल्वर मेडल की उम्मीद थी। सीएएस (CAS) ने कहा है कि वह इस मामले पर विचार-विमर्श करेगा।

बताया जा रहा है कि हरीश साल्वे (Harish Salve) ने खेल पंचाट न्यायालय (CAS) में विनेश फोगाट की ओर से पेश होने पर सहमति जताई है। साल्वे का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारतीय दल सुनवाई के लिए किसी नामी और बड़े वकील को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा था। बता दें कि हरीश साल्वे ने इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की ओर से कुलभूषण जाधव का केस महज 1 रुपये की फीस लड़ा था। अपनी दलीलों से उन्होंने इंटरनेशन कोर्ट में पाकिस्ता को मात देने में सफलता हासिल की थी।

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